scriptअमावस्या: सफेद, पीली और फिर नीली हो जाती है मां ‘लक्ष्मी’ की ये प्रतिमा | Tantrik temple of Goddess Laxmi | Patrika News

अमावस्या: सफेद, पीली और फिर नीली हो जाती है मां ‘लक्ष्मी’ की ये प्रतिमा

Published: Oct 21, 2016 03:10:00 pm

Submitted by:

Abha Sen

इसका निर्माण गोंडवाना शासन में रानी दुर्गावती के विशेष सेवापति रहे दीवान अधार सिंह के नाम से बने अधारताल तालाब में करवाया गया था।

laxmi

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जबलपुर। कहा जाता है कि मां लक्ष्मी किसी पर खुश हो जाएं तो उसके वारे न्यारे हो जाते हैं और रूठ जाएं तो उसके भाग्य के दरवाजे बंद हो जाते हैं। शहर में मां लक्ष्मी का अद्भुत मंदिर स्‍थपित है। इसका निर्माण गोंडवाना शासन में रानी दुर्गावती के विशेष सेवापति रहे दीवान अधार सिंह के नाम से बने अधारताल तालाब में करवाया गया था। इस मंदिर में अमावस (अमावस्या) की रात भक्तों का तांता लगता है।

पचमठा मंदिर के नाम से प्रसिद्ध यह मंदिर एक जमाने में पूरे देश के तांत्रिकों के लिए साधना का विशेष केन्द्र हुआ करता था। इसका निर्माण करीब 11 सौ साल पूर्व कराया गया था। इसके अंदरूनी भाग में चारों ओर श्रीयंत्र की अनूठी संरचना की गयी है। खास बात यह है कि आज भी सूर्य की पहली किरण मां लक्ष्मी की प्रतिमा के चरणों पर ही पड़ती है।

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दिन में तीन बार बदलता है रूप
बताया जाता है कि यहां स्‍िथत मां लक्ष्मी की प्रतिमा दिन में तीन बार रंग बदलती है। कुछ लोग केवल इसका अनुभव करने के लिए ही पचमठा मंदिर आते हैं। दर्शनार्थियों के अनुसार प्रात: काल में प्रतिमा सफेद, दोपहर में पीली और शाम को नीली हो जाती है।

मंदिर में हर शुक्रवार भारी भीड़ रहती है। दीपावली पर तो बड़ी संख्या में दूर-दूर से भक्त मां लक्ष्मी के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं। दीवाली की रात पट रात में भी बंद नहीं होते।
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