जबलपुर। चोरी और लूट की वारदातों के चलते रेल यात्री दहशत के बीच सफर कर रहे हैं, वहीं रेलवे में पार्सल व्यवस्था को भी भगवान भरोसे चलाया जा रहा है। खजाना भरने की धुन में यह तक चैक नहीं किया जा रहा कि पार्सल के बंद पैकेटों में क्या भरा है। सामान भेजने वाले की बातों पर भरोसा कर पूरी व्यवस्था संचालित की जा रही है।
बस फारवर्डिंग नोट भरो
रेलवे के पार्सल विभाग के माध्यम से भेजे जा रहे पैकेट के भीतर क्या रखा है, यह देखने की जेहमत पार्सल विभाग नहीं उठाएगा। उसे सिर्फ फारवर्डिंग नोट भरकर देना होगा यानी फॉर्म में यह डिक्लेरेशन करना होगा कि पैकेट के भीतर क्या है। चाहे तो कोई आलू को सेब, जूते को कपड़े लिखकर भी पार्सल भेज सकता है।
झांकते तक नहीं लीज एसएलआर
रेलवे ने जबलपुर से चलने वाली 12 टे्रनों की चार टन क्षमता के एसएलआर लीज ठेके पर दे रखी हैं। इन टे्रनों की लीज एसएलआर का संचालन तीन निजी ठेकेदारों द्वारा किया जा रहा है। इन टे्रनों के लीज एसएलआर में क्या सामान आ रहा, क्या जा रहा, इसे देखने की जेहमत भी नहीं उठाई जा रही। इससे पहले कई बार लीज एसएलआर में क्षमता से अधिक माल ढुलाई के मामले सामने आ चुके हैं।
विजिलेंस, आरपीएफ सवालों के घेरे में
पमरे की स्थापना के बाद कई साल तक पार्सलयान में ओवरलोडिंग, लीज एसएलआर की जांच हर थोड़े अंतराल में होती थी। अब विजिलेंस इस मामले में हाथ पर हाथ धरे बैठी है। लंबे समय से कोई गोलमाल उजागर न होने से विजिलेंस सहित आरपीएफ की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। स्थिति यह है कि सीएसटीएम से पाटलीपुत्र जाने वाली 12141 सुपरफास्ट व पुणे से पाटलिपुत्र जाने वाली 12149 सुपरफास्ट टे्रन के स्लीपर कोचों में अनार, संतरे की ढुलाई चल रही है। जलगांव, नासिक से आए दिन इनकी खेप यूपी-बिहार भेजी जा रही है।
Hindi News/ Jabalpur / पार्सल पैक में बम ही क्यों न हो, परवाह नहीं इन्हें