सिहोरा. मझौली। खरीफ सीजन में धान की बोआई के बाद फसल में किसानों को खाद की सबसे ज्यादा जरूरत पड़ती है। सोसायटियों में स्टॉक नहीं होने से किसान को यूरिया के लिए यहां-वहां भटकना पड़ रहा है। सिहोरा और मझौली ब्लॉक की आधा दर्जन सहकारी और विपणन समितियों यूरिया में स्टॉक खत्म हो चुका है। ऐसे में एक-एक बोरी के लिए किसानों में मारामारी मची है।
जानकारी के अनुसार सिहोरा और मझौली ब्लॉक की सोसायटियों को विपणन संघ (डबल लॉक) परमिट के आधार पर यूरिया की सप्लाई करता है, जहां से सोसायटियां किसानों को यूरिया देता है। लीड सेवा सहकारी समिति और मार्केटिंग की 22 समितियोंं से यूरिया की बिक्री होती है, जिसमें बरगी, घाटसिमरिया, पौड़ा, फनवानी, बुढ़ागर, बेला, लमकना, बेला में खाद स्टॉक में ही नहीं है। खाद के लिए पहुंच रहे किसानों को खाली हाथ लौटना पड़ रहा है। सोसायटी खाद नहीं मिलने पर मजबूरी में किसानों को ज्यादा दामों पर यूरिया खरीदनी पड़ रही है। एक बोरी (50 किलो) यूरिया की कीमत 288 रुपए है, लेकिन ब्लैक में यूरिया 300-350 में खरीदने की मजबूरी है। समिति प्रबंधकों की अपनी मजबूरी है। वे कहते हैं डबल लॉक में स्टॉक नहीं है। डीडी (डिमांड ड्राफ्ट) पहले से दे देते हैं और रैक नहीं आता तो समिति को 17 प्रतिशत के हिसाब से ब्याज मिलने लगेगा।
32 गांवों के बीच एक सोसायटी
मझौली ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले बरगी ग्राम की प्राथमिक कृषि सहकारी समिति में सबसे ज्यादा किसान आते हैं। खाद लेने धनगवां के किसान उत्तम सिंह राजपूत, प्रमोद पटेल, बहादुर सिंह, सूरज प्रसाद, भारत लाल ने बताया कि धान की बोवनी के बाद उन्हें खाद की जरूरत है, लेकिन यहां खाद ही नहीं है। वे पिछले कई दिनों से खाद के लिए भटक रहे हैं।
रैक नहीं पहुंचने और यूरिया की मांग बढऩे से ऐसी स्थिति बन रही है। जल्द ही खाद की आवक होने पर सोसायटियों में मांग के अनुसार खाद पहुंचने लगेगी। एक-दो दिन में स्थिति नियंत्रित कर ली जाएगी।
रोहित सिंह बघेल, डीएमओ, विपणन संघ