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डीजीपी और कानून से ऊपर थाना पुलिस!

locationजयपुरPublished: Oct 05, 2015 12:09:00 am

डीजीपी और
कानून से ऊपर क्या “थाना पुलिस” है। प्रदेशभर में वेश्यावृत्ति के मामलों में हो
रही कार्रवाई को देखने से तो ऎसा ही लग रहा है

jaipur news

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मुकेश शर्मा
जयपुर। डीजीपी और कानून से ऊपर क्या “थाना पुलिस” है। प्रदेशभर में वेश्यावृत्ति के मामलों में हो रही कार्रवाई को देखने से तो ऎसा ही लग रहा है। नियमों से परे जाकर थाना पुलिस (डिप्टी कार्रवाई के लिए जिम्मेदार) वेश्यावृत्ति में पकड़े जाने पर ग्राहक व दलाल के साथ महिलाओं को भी गिरफ्तार कर जेल भिजवा देती है।

जबकि पुलिस महानिदेशक ने एक आदेश जारी कर वेश्यावृत्ति में पकड़ी गई नाबालिग और महिलाओं के पुनर्वास की संबंधित विभाग से व्यवस्था करवाने को कहा है, लेकिन उसकी पालना नहीं हो रही है।

वहीं वेश्यावृत्ति में पकड़ी जाने वाली पीडिताओं के पुर्नवास की जिम्मेदारी महिला अधिकारिता विभाग और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के महिला कल्याण बोर्ड की होती है। दोनों विभाग के अधिकारी एक-दूसरे की जिम्मेदारी बता पल्ला झाड़ रहे हैं।

नाबालिग मिले तो पोक्सो में गिरफ्तारी
आदेश में बताया कि वेश्यावृत्ति में बालिकाओं को धकेला जा रहा है। वेश्यावृत्ति में नाबालिक बालिका मिलने पर दलाल और ग्राहक के खिलाफ पोक्सो कानून के तहत कार्रवाई की जाए। वेश्यावृत्ति में महिलाओं के मिलने पर उन्हें भी गिरफ्तार नहीं किया जाए। वे खुद मजबूरी या अन्य कारणों से इससे पीडित होती हैं। बार-बार वेश्यावृत्ति में पकड़ी जाने वाली महिलाओं को गिरफ्तार किया जा सकता है।


महिलाएं गिरफ्तार
पुलिस मुख्यालय की मानव तस्करी निरोधक यूनिट को प्रदेशभर से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक, इस वष्ाü मार्च तक वेश्यावृत्ति के 12 प्रकरण सामने आए। इनमें 42 महिलाओं को गिरफ्तार किया, जबकि 13 ग्राहक व दलाल गिरफ्तार हुए।

आदेश में यह मुख्य
मानव तस्करी का एक प्रमुख कारण वेश्यावृत्ति और बाल वेश्यावृत्ति है। वेश्यावृत्ति की सूचना पर आईपीसी की विभिन्न धाराओं (366ए, 366बी, 373, 370), अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम, 1956 के अंतर्गत कार्रवाई की जाए। पीडिता नाबालिग है तो लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 की धाराओं का प्रयोग किया जाए।

देह व्यापार और वेश्यावृत्ति के मामलों में सामान्यत: महिला और बालिका पीडिता होती है। अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम, 1956 की धारा 8 का उपयोग अपरिहार्य परिस्थितियों में ही किया जाए। धारा 4, 5, 6 का प्रयोग किया जाए।

जिस भवन, होटल, गेस्ट हाउस, रेस्टोरेंट या अन्य स्थानों को वेश्यावृत्ति के लिए काम लिया जाता है तो ऎस भू मालिक या पट्टाधारक को धारा 18 के तहत बेदखल कराया जाए।

वेश्यावृत्ति से मुक्त करवाई गई नाबालिग बालिकाओं की पुनर्वास की कार्रवाई उक्त अधिनियम के अनुसार अमल में लाई जाए।

वेश्यावृत्ति अपराध से मुक्त करवाए गए पीडित लोगों को राजस्थान पीडित प्रतिकर सेवा नियम, 2011 के तहत प्रतिकर दिलाने की कार्रवाई करें।

केन्द्र की दो योजना कागजों में
उज्वला : एनजीओ संबंधित विभाग के अधिकारियों को वेश्यावृत्ति करने वाली महिलाओं की जानकारी देते हैं। एनजीओ को विभाग की ओर से ऎसी महिलाओं के पुनर्वास के लिए राशि उपलब्ध करवाई जाती है।
स्वधार : वेश्यावृत्ति में पकड़ी जाने वाली महिलाओं के लिए श्ौल्टर होम की व्यवस्था की जाती है।

उनकी जिम्मेदारी है
उज्वला और स्वधार योजना महिला एवं बाल विकास की है। इसकी जिम्मेदारी भी उनकी है।
भगवान सहाय, अध्यक्ष महिला कल्याण बोर्ड (सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग)
वेश्यावृत्ति मामले में पुनर्वास का कार्य सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग करवाता है।
जगदीश बुनकर, अति. निदेशक, महिला अधिकारिता विभाग
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