शैलेन्द्र अग्रवाल
जयपुर. कोसों चलने की मजबूरी कामकाजी लोगों को काम पर पहुंचने से पहले ही थकान से तोड़ रही है। प्रदेश में कुल कामकाजी लोगों की 9′ से अधिक आबादी 20 किमी या अधिक सफर तय कर मुकाम पर पहुंच रही है। यहां तक कि साढ़े तीन लाख से अधिक लोग तो 50 किमी का सफर कर काम पर पहुंच रहे हैं।
स्टार्ट अप या रिसर्जेंट राजस्थान के जरिए औद्योगिक प्रोत्साहन के लक्ष्य के लिए यह चुनौती है। सफर कर कार्यस्थल पहुंचने वाले नौकरीपेशा की यह जानकारी जनगणना-2011 में पहली बार सार्वजनिक की गई है। इसमें बताया गया कि लोग काम पर पैदल पहुंच रहे हैं या वाहन से जा रहे हैं। वाहन भी साईकिल है या बस अथवा रेलगाड़ी। कार से काम पर पहुंचने वालों की संख्या ढाई लाख से अधिक है।
महिलाएं एक चौथाई भी नहीं
जनगणना आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश में एक करोड़ से अधिक कामकाजी लोग हैं। पर इनमें महिलाओं की संख्या करीब 24 लाख ही है। यह बात अलग है कि इन कामकाजी लोगों में खेती या पारिवारिक उद्योग में काम करने वाले लोग शामिल नहीं हैं। कामकाजी महिलाओं की अधिक आबादी खेती से जुड़े कार्य या पारिवारिक उद्योगों में लगी हुई है।
50 प्रतिशत घर के पास
प्रदेश के कामकाजी लोगों में लगभग आधे एेसे हैं, जिनको काम के लिए एक किमी या कम ही चलना पड़ रहा है। इनमें से भी 33.44 लाख तो कार्यस्थल की दूरी को चलने में गिनने लायक ही नहीं मानते हैं।
पंकज की समस्या यह थी कि लकवाग्रस्त पिता को मेड़ता रोड स्टेशन पर सीमित समय में कैसे उतारा जाए। इस पर उन्होंने अपने एक मित्र की सलाह पर 28 नवम्बर को रेल मंत्रालय के ट्विटर पर अपनी पीड़ा बताई। इसके बाद रेल मंत्रालय तुरंत हरकत में आ गया।
पूरा लवाजमा सेवा में
जब पंकज अपने पिता के साथ 28 नवम्बर को रात दस बजे आबूरोड पहुंचे। तब उनके पास टीटीई आया और बताया कि उनकी समस्या के बारे में उसे रेलवे की ओर से संदेश मिला है। आप आराम से सो जाए। मेड़ता रोड आते ही आपको जगा दिया जाएगा। मेड़ता रोड स्टेशन आने से आधे घंटे पहले टीटीई ने दोनों को जगाया। वे यह देखकर चकित रह गए कि स्टेशन पर स्टेशन अधीक्षक अमर सिंह, उनके कर्मचारी और कुली व्हीलचेयर लेकर खड़े थे। उन्होंने पिता को नीचे उतारने के साथ ही सामान उतारने में उनकी मदद की। उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी तरुण जैन ने बताया कि यात्री की समस्या की जानकारी मिली, उसके तुरंत बाद रेलवे अधिकारियों ने यात्री की पूरी मदद की और उसे स्टेशन के बाहर तक विदा किया।
फील्ड कमांडर की तत्काल बैठक बुलाई गई और पांच घंटे में मुद्दा हल हो गया।
सभी भारतीय न्यूज चैनल बंद
इससे पहले नेपाल ने बड़ा कदम उठाते हुए अपने देश में सभी भारतीय न्यूज चैनल बंद कर दिए थे। शनिवार को खबर आई थी कि नेपाल कॅम्युनिस्ट पार्टी माओवादी ने भारतीय दूतावास में खड़ी गाड़ी में आग लगा दी थी। नेपाल-भारतीय सीमा पर महीनों से नाकेबंदी चल रही है। नेपाली मधेसियों ने सीमा को बंद कर रखा है।
हम अपने नेपाली समकक्षों की मदद के लिए सराहना करते हैं। घटना की जांच के आदेश दिए हैं ताकि एेसा भविष्य में नहीं हों। जवानों को कोई शारीरिक नुकसान नहीं पहुंचा। उनसे उचित व्यवहार किया गया। ये भारतीय क्षेत्र में लौट आए हैं। बीडी शर्मा, एसएसबी प्रमुख
सीमा प्रहरी एक-दूसरे के हिस्से में घुस सकते हैं पर उन्हें सारे हथियार सीमा चौकी पर सौंपने होते हैं। लेकिन एसएसबी जवान हथियार और गोला-बारूद के साथ थे। दीप कुमार उपाध्याय, नेपाल में भारतीय राजदूत
09% से अधिक है कामकाजी आबादी
सस्ते मकान की सुविधा से फायदा नहीं। चीन में शहरों में लोग काम के लिए आते हैं लेकिन रहना गांव में ही चाहते हैं। चीन की तरह परिवहन सुविधा सुधारें। देवेन्द्र कोठारी, जनसांख्यिकी विशेषज्ञ
श्रमिकों को फिर साइकिल बांटेंगे। 90 दिन निर्माण कार्य करने वालों को घर खरीदने के लिए डेढ़ लाख सरकार व डेढ़ लाख रुपए श्रम विभाग देगा।सुरेन्द्र पाल सिंह, श्रम मंत्री
इतनी दूर जाते हैं…
कार्यस्थल से दूरी कामकाजी महिला
0 -1 किमी 52 लाख 16.78 लाख
2-5 किमी 25,31,765 4,58,671
6-10 किमी 12,95,042 1,52,071
11-20 किमी 6,39,869 48,189
21-30 किमी 3,00,726 20,303
31-50 किमी 2,63,675 17,861
51 किमी या अधिक 3,64,932 20,343