जयपुर। सचिवालय में
बैठने वाले अफसर हों या जिला कलक्टर और उनके मातहत, सभी के लिए अब निरीक्षण व
गांवों में रात्रि विश्राम से बचना मुश्किल होगा। राज्य सरकार ने दौरों और रात्रि
विश्राम से बच रहे अफसरों को देखते हुए अब नियम सख्त कर दिए हैं। इसके तहत सभी
अफसरों को अपने दौरों का ब्योरा हर महीने राजस्थान सम्पर्क पोर्टल पर अपलोड करना
जरूरी होगा। ऎसा नहीं होने पर अफसर खुद-ब-खुद पकड़ में आ जाएंगे, क्योंकि तय समय के
बाद डाटा प्रविष्टि बंद कर दी जाएगी। हालांकि एक बार प्रविष्टि बंद हो जाने के बाद
लिखित अनुरोध पर पांच दिन की छूट ली जा सकेगी, लेकिन इसके बाद भी ब्योरा अपलोड नहीं
होने पर सम्बन्धित अफसर के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
प्रशासनिक सुधार विभाग ने
सुशासन व आमजन की सुनवाई कर समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए अधिकारियों के लिए
दौरे, निरीक्षण व रात्रि विश्राम के कायदे तय कर रखे हैं, लेकिन कई बार अधिकारी
सिर्फ औपचारिकता ही निभाते हैं।
तीन से आठ दौरे ही
सरकारी आंकड़े बताते हैं
कि कई आला अधिकारी तो बाहर निकलते ही नहीं है। अतिरिक्त मुख्य सचिव से विभागों के
सचिवों तक हर माह में दो दिवसीय निरीक्षण व रात्रि विश्राम जरूरी है, लेकिन हाल ही
जारी आंकड़ों के अनुसार सात अधिकारियों ने गत वर्ष अगस्त से इस वर्ष फरवरी तक कुल
जमा तीन से आठ दौरे ही किए। इसी तरह 24 जिलों में निर्धारित रात्रि विश्राम के नियम
की पालना नहीं हुई। इनमें से सात जिलों में रात्रि विश्राम का आंकड़ा तो दहाई की
संख्या में भी नहीं पहुंचा, जबकि हनुमानगढ़ में एक भी रात्रि विश्राम नहीं
हुआ।
अब रहेगी नजर
सरकार ने एक अप्रेल से दौरों, निरीक्षण व रात्रि विश्राम
को वेबपोर्टल पर अपलोड करना जरूरी कर दिया है। हर माह की 10 तारीख तक पिछले महीने
का यह ब्योरा इंद्राज नहीं हुआ तो डाटा एंट्री फ्रीज हो जाएगी और 15 तारीख के बाद
ब्योरा प्रविष्ट ही नहीं हो पाएगा। इस अवधि के बाद जिनका ब्योरा उपलब्ध नहीं होगा,
उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। खुद मुख्य सचिव व सभी विभागाध्यक्ष इसकी हर महीने
समीक्षा करेंगे।