जालोर। नगर परिषद बोर्ड में आपसी
फूट से विकास कार्यो पर ग्रहण लग रहा है। ऎसे में पार्षद तक खुद को बेबस महसूस कर
रहे हैं। हाल यह हैकि शहर में जहां रोडलाइट व्यवस्था गड़बड़ाने लगी है। वहीं विकास
कार्यभी अटके पड़े हैं।यहां तक कि खुद सभापति के आदेश भी कागजी साबित हो रहे हैं।
यही वजह हैकि ना तो उनके आदेश पर अमल हो रहा है और ना ही जरूरी सूचना मुहैया हो पा
रही है।
दरअसल, नगर परिषद की 23 फरवरी को आयोजित बैठक में पार्षदों की मांग पर
प्रत्येक वार्डमें नाली व क्रॉसिंग सम्बंधी कार्यके लिए दस लाख रूपए तक की स्वीकृति
जारी करने का निर्णय लिया गया था। इसमें पाष्ाüद को अनुशंसा करनी थी।इधर, वार्डो
में इन कार्यो के लिए निविदा जारी नहीं होने पर कईपार्षदों ने नाराजगी जतानी शुरू
कर दी। लेकिन हाल यह हैकि अब तक शहर में किसी भी वार्ड इन कार्यो के लिए निविदा
जारी नहीं हुई है। हालांकि सभापति की ओर से आयुक्त को यू.ओ. नोटजारी कर इसके लिए
कार्यवाही करने की हिदायत दी थी, लेकिन अब तक इसकी प्रगति कछुआ चाल
है।
कागजी बन गए यू.ओ. नोट
बीते कुछ दिनों में सभापति की ओर से कईमामलों
में कार्यवाही के लिए आयुक्त को यू.ओ.नोट जारी किए गए, लेकिन इन पर कार्यवाही अब तक
नहीं हो पाई। कारण चाहे जो भी हो, लेकिन इसका खामियाजा जनता भुगतने को मजबूर है।
सभापति की ओर से गत 16 अप्रेल को कृषि भूमिव भूमि नियमन से सम्बंधित प्राप्त
पत्रावलियों तथा पट्टे जारी करने व गायब पट्टा पत्रावलियों की सूचना मांगी गईथी,
लेकिन यह सूचना अब तक उनको मुहैया नहीं हो पाईहै।इसी तरह 16 अप्रेल को ही आयुक्त ने
कृçष्ा भूमि की लम्बित पत्रावलियों, भूमि नियमन की लम्बित पत्रावलियों, भण्डार शाखा
में उपलब्ध सामग्री, विद्युत सामान, वाहन संधारण, सफाईउपकरण व सामग्री इंद्राज
स्टॉक रजिस्टर, वर्ष2009 से जारी टेण्डरों की सूची तथा पेण्डिंग कार्य की सूची तथा
केंद्र व राज्य सरकार की नगर परिषद में संचालित योजनाओं के सम्बंध में जानकारी
मांगी थी।
इसी तरह 16 अप्रेल को ही दमकल विभाग के कार्मिक रतनसिंह को राजस्व अनुभाग
से हटाने एवं पालना रिपोर्टसे अवगत कराने के लिए यू.ओ.नोट जारी किया था।इसी दिन नगर
परिषद क्षेत्रमें बिना इजाजत भवन निर्माण की सूचना के लिए यू.ओ.जारी किया गया था।
लेकिन अब तक खुद सभापति को ही यह सूचना उपलब्ध नहीं कराईगई है।इधर, आयुक्त का दावा
हैकि सभापति की ओर से मांगी गई सूचना के सम्बंध में वे परिषद को कार्मिकों को तीन
बार लिखित में आदेश दे चुके हैं, लेकिन उनके आदेश की पालना नहीं हो रही। ऎसे में
यू.ओ. नोट कागजी बनकर रह गए हैं।
उप सभापति ने लगाया उदासीनता का
आरोप
इधर, उप सभापति मंजू सोलंकी ने सभापति की उदासनीता से शहर के विकास
कार्यअटकने का आरोप लगाया है।उन्होंने बताया कि बीआरजीएफ योजना के तहत शहर में
सड़क, नाली-नाला व क्रॉसिंग मरम्मत के लिए डेढ़ करोड़ का बजटमिला था। पूर्वआयुक्त
शंकरलाल की ओर से 26 दिसम्बर, 2014 को निविदाएं आमंत्रित की गई थी।लेकिन चालीस
प्रतिशत बीलों की दर पर अपनी चहेती फर्मको कार्यादेश जारी किए गए।लेकिन पांच माह के
बावजूद कार्यनहीं किए गए। नियमानुसार फर्मकी अमानत राशि जब्त कर उसे ब्लैक लिस्ट
घोषित करना था।लेकिन कोईकार्यवाही नहीं की गई।वहीं बोर्डमें पारित प्रस्ताव के
अनुसार प्रत्येक वार्डमें दस लाख के कार्यकरवाए जाने थे। आयुक्त की ओर से 8-10 दिन
पहले ही निविदा सूचना पर हस्ताक्षर कर सभापति को अग्रेषित की गईथी, लेकिन सभापति इस
पर हस्ताक्षर नहीं कर रहे हैं।
कार्मिक नहीं दे रहे जानकारी
सभापति की ओर
से मांगी गईसूचनाओं के लिए मैंने सम्बंधित कार्मिकों को लिखित में दे दिया है। वे
जानकारी सुलभ नहीं करवा रहे हैं। वहीं पार्षदों की अनुशंसा के अभाव में निविदा जारी
करने में देरी हुई है।
– अर्जुनदान देथा, कार्यवाहक आयुक्त, नगर परिषद,
जालोर
कोई कार्यवाही नहीं हो रही
मैं शहर में विकास करवाना चाहता हूं।
विकास कार्यो व अन्य जानकारी मुहैया कराने के लिए कई बार आयुक्त को यू.ओ. दिया,
लेकिन उस पर कोईकार्यवाही ही नहीं होती। या तो कर्मचारी उनकी मानते नहीं या फिर वे
खुद उदासीन रवैया रख रहे हैं।वहीं बोर्डगठन के बाद से उप सभापति विकास में अड़ंगा
अटका रही है।
– भंवरलाल माली, सभापति, नगर परिषद, जालोर