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दावों के ढोल, सुरक्षा में पोल

locationजालोरPublished: May 19, 2015 10:54:00 pm

 जिलेभर में डिस्कॉम अधिकारियों की
लापरवाही एवं असंवेदनशीलता डिस्कॉम कर्मियों पर भारी पड़ रही है

Jalore photo

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जालोर। जिलेभर में डिस्कॉम अधिकारियों की लापरवाही एवं असंवेदनशीलता डिस्कॉम कर्मियों पर भारी पड़ रही है। लगातार हो रहे विद्युत हादसों के बाद भी अधिकारी कर्मचारियों की सुरक्षा के प्रति संवेदनशील नजर नहीं आ रहे हैं।

इसे तकनीकी कर्मचारियों की लापरवाही कहे या फिर डिस्कॉम के अधिकारियों की उदासीनता। लेकिन यह सच है कि बिजली सम्बंधी समस्या को दुरूस्त करने के लिए खम्भे पर चढ़ने वाले अधिकतर तकनीकी कर्मचारियों के पास सुरक्षा उपकरण नहीं है। ऎसे में करंट की चपेट में आने से कई लाइनमैन झुलस चुके हैं। वहीं कइयों की जान भी जा चुकी है। बावजूद डिस्कॉम के अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं। हालांकि, डिस्कॉम ने वित्तीय वर्ष में पर्याप्त सुरक्षा उपकरण देने की बात कही है, लेकिन अधिकांश तकनीकी कर्मचारी बिना सुरक्षा उपकरण के काम करते नजर आते हैं।

दरअसल, बिजली सम्बंधी समस्या की शिकायत के बाद डिस्कॉम के लाइनमैन या अन्य तकनीकी कर्मचारी मौके पर पहुंचते हैं। विद्युतकर्मियों को कार्य के दौरान जरूरी सुरक्षा उपकरण लगाने अनिवार्यहै। रात में कार्य करने के लिए बैटरी, खम्भे पर कार्य के दौरान काम आने वाली बेल्ट व इतनी ऊंचाईपर कार्य करने के लिए हेलमेट व हाथों में पहने जाने वाले दस्ताने व अन्य सुरक्षा उपकरण होने जरूरी है। लेकिन जिले में कुछ सामान को छोड़कर अन्य सामान वितरित ही नहीं किए जाते हैं। ऎसे में विद्युत कर्मियों को खतरे में रहकर कार्य करना पड़ रहा है। हालांकि, कुछ उपकरण होने के बावजूद भी कर्मचारी उपयोग में नहीं लेते हैं। ऎसे में हादसे की आशंका रहती है।

यह भी है वजह
कई बार एक साथ दो से अधिक शिकायत आने पर भी तकनीकी कर्मचारी भी जल्दबाजी करते हैं। ऎसे में कई बार बिना सुरक्षा उपकरण लिए खम्भे पर चढ़ जाते हैं। वहीं डिस्कॉम के अधिकारियों पर भी जल्दी से बिजली समस्या दुरूस्त करने का दबाव रहता है। ऎसे में कई बार अचानक विद्युत प्रवाहित होने से तकनीकी कर्मचारियों की जान जोखिम में पड़ जाती है।

डिस्कॉम का दावा, हकीकत में नहीं
डिस्कॉम की ओर से तकनीकी कर्मचारियों को पर्याप्त सुरक्षा उपकरण देने का दावा किया जा रहा है। डिस्कॉम अधिकारियों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2014-15 में तकनीकी कर्मचारियों को 400 हेलमेट, 1 हजार 79 दस्ताने, 373 शेफ्टी बेल्ट, 473 रेनकोट, 900 पकड़, 900 पेसकश वितरित किए गए हैं। लेकिन जिले में 600 लाइनमैन व हेल्पर है। ऎसे में अधिकांश के पास सुरक्षा उपकरण नहीं है। सुरक्षा उपकरणों का अभाव होने से कर्मचारी खतरों से खेल कर बिजली समस्या दुरूस्त कर रहे हंै।

हो चुके हैं हादसे

जिले में अब तक हुए बिजली हादसे में कईकर्मचारी जान गंवा चुके हैं। वित्तीय वर्ष 2011-12 में बालवाड़ा सब स्टेशन पर कार्य करते समय हेल्पर प्रथम वरदाराम की करंट से झुलस जाने पर मौत हो गई थी। इसी तरह धुम्बडिया में कार्य करते समय तकनीकी हेल्पर अक्षय कुमारसिंह की करंट से मौत हो गई। वित्तीय वर्ष 2012-13 मे लेटा में 11 केवी धवला फीडर पर कार्य करते समय हेल्पर प्रथम शंकरलाल, जीएसएस पर कार्य करने के दौरान नंदकिशोर तथा पूनासा जीएसएस पर सीसीए तृतीय झालाराम के करंट के चपेट में आने से मौत हो चुकी है। इसी तरह वित्तीय वर्ष 2013-14 में पोल पर कार्य करते समय तकनीकी हेल्पर हरगोविन्द मीणा की करंट से मौत हो गई। इसी तरह वित्तीय वर्ष2014-15 में 11 के.वी सांकड़ में करंट से तकनीकी हेल्पर राकेश कुमार, कावतरा में तकनीकी हेल्पर सुमेरसिंह, उम्मेदरपुर में एसएसए तृतीय भोमाराम व तकनीकी हेल्पर पुष्पेन्द्रसिंह की करंट से मौत हो गई थी। हाल में ही पहाड़पुरा में खंभे पर लाइन को दुरूस्त कर रहे लाइनमैन राजू भील करंट से झुलस गया था।

तकनीकी कर्मचारियों को सुरक्षा उपकरण देने के साथ ही उपकरणों के साथ काम करने के निर्देश दिए हुए हैं। ताकि हादसा न हो। अधिकारियों को भी लापरवाही नहीं बरतने कहा हुआ है।
– एम. एल. मेघवाल, अधीक्षण अभियंता डिस्कॉम जालोर
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