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जालसाजी का जुर्म दर्ज होने के बाद भी नहीं किया सस्पेंड, आरोपी अफसर जारी कर रहा आदेश-निर्देश

locationजांजगीर चंपाPublished: Dec 09, 2016 01:02:00 pm

तीस लाख रुपए की गड़बड़ी करने वाले राजीव गांधी शिक्षा मिशन के जिला मिशन समन्वयक को शासन-प्रशासन की खुली छूट मिल रही है।

After filing of the crime did not suspend forgery,

After filing of the crime did not suspend forgery, issuing orders, instructions accused officers

जांजगीर-चांपा. कलेक्टर और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी के हस्ताक्षर को स्कैन कर तीस लाख रुपए की गड़बड़ी करने वाले राजीव गांधी शिक्षा मिशन के

जिला मिशन समन्वयक को शासन-प्रशासन की खुली छूट मिल रही है। कोतवाली पुलिस ने इस मामले में दो दिन पहले संबंधित अफसर सहित सात लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी और अमानत में खयानत का अपराध दर्ज किया है।

बावजूद इसके, आरोपी अफसर को सस्पेंड नहीं किया गया है। यही वजह है कि थाने में मामला दर्ज होने के बाद भी आरोपी अफसर विभागीय कार्यों को अंजाम देते हुए आदेश-निर्देश जारी कर रहा है।

आरोपी अफसर के ही हस्ताक्षर से बीते सात दिसम्बर को सक्ती के जिला शिक्षा अधिकारी पत्र जारी हुआ है, जिसमें विद्यार्थियों के आंकड़े संकलन को लेकर असंतोष जाहिर किया गया है। इससे शासन-प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठने लगा है।

जिले में संचालित शासकीय स्कूलों में वर्ष 2011-12 के दौरान विद्युतीकरण के कार्यों में वित्तीय अनियमितता से संबंधित शिकायत बीते 25 नवंबर को शिक्षा विभाग के सहायक परियोजना अधिकारी विजय उपाध्याय ने जांजगीर थाने में पहुंचकर दर्ज कराई थी।

शिकायत के साथ जिला प्रशासन द्वारा कराए गए जांच का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया था, जिसमें बताया गया था कि वर्ष 2011-12 में 501 शालाओं के विद्युतीकरण कार्य के लिए ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग को दायित्व सौंपा गया था, जिसमें से 349 भवनों में विद्युतीकरण का कार्य पूर्ण कराया गया।

52 शाला भवन विद्युतीकरण योग्य नहीं होने तथा अन्य 100 शाला भवनों में विद्युतीकरण कार्य अपेक्षित मानक पर नहीं किए जाने के कारण उसकी स्वीकृति 45.60 लाख रुपए शिक्षा मिशन को वापस किया गया था।

इसके बाद भी सौ विद्यालयों में कार्य पूर्ण होना बताकर डीएमसी प्रमोद आदित्य, पूर्व वित्त समन्वयक एमडी दीवान द्वारा तत्कालीन कलेक्टर एवं जिपं सीईओ

के हस्ताक्षर को स्कैन कर राशि भुगतान के लिए अनुमोदित बताते हुए 30 लाख रुपए का चेक दो सितम्बर 2015 को ठेकेदार राजेश अग्रवाल को जारी किया गया था।

कोतवाली पुलिस ने इस मामले में बीते छह दिसम्बर को डीएमसी आदित्य, ठेकेदार अग्रवाल समेत कुल सात लोगों के खिलाफ धारा 409, 420, 120बी तथा 34 के तहत अपराध पंजीबद्ध किया है।

थाने में अपराध दर्ज होने के दूसरे दिन यानि सात दिसम्बर को आरोपी डीएमसी ने कई आदेश-निर्देश जारी किए हैं, जो शासन-प्रशासन की व्यवस्था पर सवाल उठाने काफी हैं।

पुलिस को अभी भी कई कागजात का इंतजार
कलेक्टर के निर्देश पर शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने अभी जितने दस्तावेज उपलब्ध कराए थे, उसके आधार पर कोतवाली पुलिस ने संबंधितों के विरूद्ध अपराध तो दर्ज कर लिया है,

लेकिन थाने में उपलब्ध कागजात आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पर्याप्त नहीं बताए जा रहे हैं। पुलिस विभाग के अफसरों का कहना है कि शिक्षा विभाग ने पहले ही मूल दस्तावेज उपलब्ध कराने में विलंब किया,

जिसके कारण ही मामला दर्ज नहीं हो रहा था। इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी समेत जिला प्रशासन के अफसरों को कई बार सूचित किया गया था।

शिक्षा विभाग के सहायक परियोजना अधिकारी ने बीते 25 नवंबर को थाने पहुंचकर जो दस्तावेज उपलब्ध कराए, उसके आधार पर पुलिस ने प्रथम दृष्टया अपराध प्रकट होना पाया और संबंधितों के खिलाफ अपराध दर्ज किया।
अधिकारियों का कहना है कि गिरफ्तारी से पहले कुछ औपचारिकताएं व कागजात की और जरूरत है, जिसका
इंतजार किया जा रहा है।

छोटे कर्मचारी हो गए हंै अंडरग्राउंड

डीएमसी सहित सात के खिलाफ जालसाजी व धोखाधड़ी का अपराध होने के बाद इस मामले में संलिप्त कई कर्मचारी अंडरग्राउंड हो गए हैं। गिरफ्तारी के डर से वे सार्वजनिक जगहों पर नजर ही नहीं आ रहे हैं।
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