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जांजगीर चंपा

ठिठुरती जिंदगी को राहत पहुंचाने आधी रात को निकलते हैं चांपा सेवा संस्थान के जाबाज

हम अपने घरों में कंबल ओढकर जब चैन की नींद सोते रहते हैं, तभी वो
जॉबाज अपनी नींद त्यागकर खुले आसमान के नीचे ठंड में ठिठुरती जिंदगियों को
राहत पहुंचाने निकलते हैं।

जांजगीर चंपाJan 17, 2017 / 12:14 pm

Piyushkant Chaturvedi

Sueffering by cold life were helped midnight by Ch

Sueffering by cold life were helped midnight by Champa social service society

राजेन्द्र राठौर/जांजगीर-चांपा. हम अपने घरों में कंबल ओढकर जब चैन की नींद सोते रहते हैं, तभी वो जॉबाज अपनी नींद त्यागकर खुले आसमान के नीचे ठंड में ठिठुरती जिंदगियों को राहत पहुंचाने निकलते हैं।

रेलवे स्टेशन व सार्वजनिक स्थानों पर सोए लोगों को बिना जगाए कंबल और गर्म कपड़े ओढ़ाकर वे से बिना कुछ कहे वहां चले जाते हैं। जनसेवा करने वाले जॉबाज कोई और नहीं बल्कि, चांपा सेवा संस्थान से जुड़े वे लोग हैं,

जिनका मकसद जनसेवा है। इस संस्थान के सदस्य जनसेवा करने के लिए किसी से एक पैसे का चंदा नहीं लेते। आपस में ही रकम जुटाकर वो सेवा भाव के कार्य में लगे हुए हैं।

जनसेवा से बड़ी सेवा और कुछ नहीं, इसे चांपा सेवा संस्थान के जॉबाज चरितार्थ कर रहे हैं। इस संस्थान से 106 पुरूष व 55 महिला सदस्य जुड़े हुए हंै, जिनका एकमात्र उद्देश्य समाज सेवा है।

यह संस्थान वर्तमान में ऐसे लोगों की मदद में जुटा हुआ है, जो खुले आसमान के नीचे या फिर स्टेशन के प्लेटफार्मों पर रात गुजारने को विवश रहते हैं।

संस्थान के जॉबाज बढ़ी हुई ठंड को ध्यान में रखते हुए पिछले कुछ दिनों से ऐसे लोगों को लगातार कंबल, टोपा, जर्सी आदि का वितरण कर रहे हैं।

खास बात यह है कि संस्थान के जॉबाज अपने सेवा भाव का ढिंढोरा पिटने के बजाए बिना किसी पब्लिसिटी के अपने काम को बेहतर ढंग से अंजाम दे रहे हैं।

चांपा सेवा संस्थान से जुड़े पुरूषोत्तम शर्मा ने बताया कि जन-सेवा के उद्देश्य से ही तीन वर्ष पूर्व इस संस्थान का गठन किया गया है।

यह संस्थान अपने नाम के अनुसार चाम्पा नगर की नि:स्वार्थ सेवा का जज्बा, हौसला और दृढ संकल्प से परिपूर्ण एक संगठन है।

उन्होंने बताया कि चाम्पा नगर का हित सर्वोपरि, नगर विकास, आधुनिक चाम्पा की जमीनी एवं सकरात्मक सोच रखने वाले विभिन्न क्षेत्रों के नगरवासियों ने इस संस्थान की नींव रखी है।

अपने स्थापना दिवस से लगभग तीन वर्ष की अवधि में इस सामाजिक सेवा संस्थान रुपी नन्हे पौधे ने समाज सेवा के क्षेत्र में कई नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं।

बनारस जाकर गंगा घाट की कर चुके हैं सफाई

चांपा सेवा संस्थान पहली बार उस वक्त सुर्खियों में आया, जब 350 दिन पूर्ण होने पर संस्थान के जॉबाजों ने के स्वच्छता अभियान से प्रेरित हो बनारस जाकर कई दिनों तक

गंगा घाट की साफ-सफाई की। इस कार्य के लिए संस्थान को खूब सराहना मिली। वहीं शासन-प्रशासन से संस्थान को सम्मान भी मिला।

संस्थान से जुड़े स्वयं सेवकों ने बताया कि उनके द्वारा सांस्कृतिक, सामाजिक, चिकित्सा, पर्यावरण, यातायात जागरूकता, धार्मिक, स्वच्छता सहित कई क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान दिया जा चुका है।

बता दें कि हसदेव नदी के डोंगाघाट की सफाई के बाद हसदेव गंगा महाआरती की शुरूआत इनके ही प्रयासों का फल है।
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