पॉलीथीन खाने वाले आवारा मवेशियों का दूध दे रहा कुपोषण
जिला मुख्यालय जांजगीर, चांपा, सक्ती, अकलतरा सहित सभी शहरी एवं ग्रामीण
इलाकों की सड़कों पर सुबह से रात तक आवारा मवेशियों का जमावाड़ा रहता है।
Polythene feeding stray cattle giving milk malnutrition
जांजगीर-चांपा. पशु पालकों की लापरवाही नौनिहालों पर भारी पड़ रही है। मवेशियों द्वारा कचरे के ढेर में तलाशे जाने वाला भोजन दुधारू मवेशियों की गुणवत्ता को कमजोर कर रहा है। उक्त दूध का सेवन करने वाले नौनिहाल कुपोषण की चपेट में आ रहे हैं।
जिला मुख्यालय जांजगीर, चांपा, सक्ती, अकलतरा सहित सभी शहरी एवं ग्रामीण इलाकों की सड़कों पर सुबह से रात तक आवारा मवेशियों का जमावाड़ा रहता है। सड़क पर कब्जा जमाए इन मवेशियों के कारण आए दिन दुर्घटनाएं भी होती है। पुलिस व प्रशासन इन मवेशियों को घर पर रखकर चारा उपलब्ध कराने पशुपालकों से आग्रह करता है, लेकिन पशुपालक सुबह शाम दूध निकालकर मवेशियों को सड़क पर आवारा छोड़ देते हैं।
स्थानीय प्रशासन और यातायात अमले के लिए सैकड़ों की संख्या में सड़कों पर विचरण करने वाले आवारा मवेशियों को पकड़कर कांजी हाऊस या गौशाला पहुंचाना संभव नहीं है, यह तो जगजाहिर सी बात है। मगर, आवारा मवेशियों का दूध बच्चों को कुपोषित बना रहा है, इस बात की खबर अधिकांश लोगों को नहीं है। दरअसल, एक सरकारी एजेंसी के सर्वे के अनुसार जिले सहित पूरे प्रदेश की सड़कों पर आवारा मवेशियों की बहुतायत देखने को मिली है। तुलनात्मक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि आवारा मवेशियों की अपेक्षा घरों में पाले जाने वाले पशुओं का दूध अधिक पौष्टिक होता है।
इस बात का खुलासा पशु चिकित्सा विभाग द्वारा हाल ही में तैयार कराई गई एक रिपोर्ट से हुआ है। रिपोर्ट की मानें तो सड़कों पर मंडराने वाले आवारा मवेशियों की दूध का सेवन करने वाले बच्चों में कुपोषण का अनुपात 3-1 देखने को मिला है। आवारा मवेशियों के दूध का सेवन करने से बच्चों में कुपोषण बनाने की बात को पोषण पुनर्वास केन्द्र के जिम्मेदार भी स्वीकार कर रहे हैं। चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों में कुपोषण होने का कारण मवेशियों द्वारा खाए जाने वाली प्लास्टिक और सड़ा कचरा है।
आदेश की अनदेखी
राज्य शासन ने 20 माइक्रॉन से कम क्षमता वाले प्लास्टिक के उत्पादन, विक्रय और उपयोग पर प्रतिबंध लगा रखा है। इसके बावजूद, पूरे जिले में 20 माइक्रॉन से कम क्षमता की प्लास्टिक आसानी से कचरे के ढेर में देखने को मिल जाती है। शहर में नगरपालिका परिषद की टीम ने शुरूआती दिनों में कार्यवाही की थी, लेकिन अब कार्यवाही नहीं की जा रही है। इससे स्पष्ट हो रहा है कि पालिका की उदासीनता के कारण लोगों द्वारा अमानक पालीथीन का उपयोग बंद नहीं किया जा रहा है।