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मान्यता चौथी तक, प्रवेश शुल्क वसूल रहे बारहवीं की

locationजांजगीर चंपाPublished: Apr 28, 2016 06:21:00 pm

केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा मंडल, छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल तथा स्कूल
शिक्षा विभाग के निर्देश के बावजूद जिले के किसी भी निजी स्कूल के प्रवेश
द्वार पर फीस चार्ट नहीं लगाया गया है।

admission fees are charged XII

By the fourth accreditation, admission fees are charged XII

जांजगीर-चांपा. निजी स्कूल संचालकों की मनमानी चरम पर है। केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा मंडल, छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल तथा स्कूल शिक्षा विभाग के निर्देश के बावजूद जिले के किसी भी निजी स्कूल के प्रवेश द्वार पर फीस चार्ट नहीं लगाया गया है। फीस मामले को लेकर निजी स्कूल संचालक जिला प्रशासन से लेकर शासन पर भारी पड़ते नजर आ रहे हैं। शहर के एक स्कूल में तो चौर्थी तक की मान्यता लेकर संचालकों द्वारा बारहवीं कक्षा का प्रवेश शुल्क वसूले जाने का मामला सामने आया है।

जिले में करीब 350 निजी स्कूल संचालित हैं। इनमें से करीब 50 स्कूलों को केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा मंडल नई दिल्ली से मान्यता मिले होने का दावा स्कूल संचालकों द्वारा किया जा रहा है, लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में सीबीएसई से संबंद्ध किसी भी स्कूल का पूरा रिकार्ड नहीं है। खासकर मान्यता से संबंधित मामलों में जिला शिक्षा अधिकारी किसी तरह की कोई जानकारी नहीं होने की बात सालों से कहते आ रहे हैं। ताजा मामला फीस चार्ट से संबंधित है। निजी स्कूलों में मनमाने फीस निर्धारण को लेकर लगातार मिल रही शिकायतों के मद्देनजर केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा मंडल, छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल तथा स्कूल शिक्षा विभाग ने सभी निजी स्कूलों के प्रवेश द्वार पर फीस चार्ट लगाने के निर्देश दिए हैं। इसके बावजूद जिले के किसी भी स्कूल में इस निर्देश का पालन होता नजर नहीं आ रहा है।

जानकारी के अनुसार, जिला मुख्यालय जांजगीर में इसी वर्ष से शुरू हुए गुरूकुल इंटरनेशनल स्कूल को सीबीएसई से नर्सरी से कक्षा चौथीं तक की मान्यता मिली है। स्कूल प्रबंधन द्वारा प्रत्येक कक्षा में प्रवेश के लिए प्रति विद्यार्थी 51 हजार 200 रुपए वार्षिक फीस लिए जाने की बात शुरूआत में कही गई थी, लेकिन पालकों की शिकायत है कि स्कूल प्रबंधक अच्छी शिक्षा के नाम पर लूट खसोट में उतर आए हैं। यहां वार्षिक फीस एक लाख दो हजार रुपए से अधिक लिया जा रहा है। इस मसले पर स्कूल प्रबंधन का तर्क भी दिलचस्प है।

प्रबंधन का कहना है कि एक लाख दो हजार रुपए फीस में कक्षा बारहवीं तक का प्रवेश शुल्क शामिल है। पालक यदि चाहे तो कक्षा बारहवीं तक का प्रवेश शुल्क एक साथ जमा करा सकते हैं। ऐसे में एक बात उठना लाजिमी है कि अगर स्कूल को सीबीएसई ने चौथी तक की मान्यता दी है तो स्कूल प्रबंधन पहले ही वर्ष बारहवीं तक की कक्षाओं के लिए प्रवेश शुल्क आखिर कैसे वसूल सकता है। शहर में ही संचालित जयभारत इंग्लिश मीडियम स्कूल, लोटस पब्लिक स्कूल, स्माइल किट्जी, हसदेव पब्लिक स्कूल सहित कई स्कूलों में अच्छी शिक्षा के नाम पर पालकों से लूट खसोट किए जाने की शिकायतें लगातार सामने आ रही है।

इसके बावजूद जिला प्रशासन स्कूलों के प्रवेश द्वार पर फीस चार्ट लगवाने उदासीन रवैया अपना रहा है। उल्लेखनीय है कि रायपुर, कोरबा सहित दीगर जिलों में निजी स्कूलों की मनमानी पर अंकुश लगाने प्रशासन छानबीन कर रहा है। इस वजह से वहां निजी स्कूल संचालकों की लापरवाही नियंत्रित है, लेकिन यहां कभी इस तरह का प्रयास ही नहीं किया गया। यही वजह है कि पालक निजी स्कूल संचालकों की लापरवाही से बेहद परेशान हैं। वहीं शिकायत पर भी ध्यान आकृष्ट नहीं किया जा रहा है। ऐसे में पालक क्या करें।
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