धीरे-धीरे बर्बाद हो रहे स्टेडियम
जशपुरPublished: Oct 25, 2016 09:42:00 am
कलक्टोरेट परिसर के पीछे स्थित इंडोर स्टेडियम की छत से पानी गिरने वाली
पाइप को किसी अज्ञात चोरों ने उड़ा लिया और बैडमिंटन संघ ने इसे दोबारा
लगवाने पर रूचि भी नहीं दिखाई। इ
जशपुरनगर. जिले में खेल प्रतिभाओं को निखारने के लिए शासन की ओर से करोड़ों रुपए खर्च कर खेल संसाधनों का इजाफा किया जा रहा है, जिसमें इंडोर और आउटडोर स्टेडियम शामिल हैं। लेकिन उचित देखरेख के अभाव में करोड़ों का स्टेडियम की हालत जर्जर होती जा रही है। जिला मुख्यालय में जर्जर हो चुके रणजीता आउडोर स्टेडियम के बाद, एनईएस कॉलेज के पास स्थित प्रस्तावित हॉकी स्टेडियम की हालत भी खराब हो चुकी है।
अब इसी श्रेणी में वर्तमान में अफसरों व अधिकारियों द्वारा सबसे अधिक पसंद किया जाने वाला बैडमिंटन इंडोर स्टेडियम भी आ चुका है। दरअसल बैडमिंटन इंडोर स्टेडियम की देखरेख जिला बैडमिंटन संघ के द्वारा की जा रही है, लेकिन संघ के द्वारा सिर्फ इसके भीतरी खूबसूरती को ध्यान दिया जा रहा है। बाहरी आवरण को नजर अंदाज कर दिया जा रहा है। संघ की इस अनदेखी की वजह से बिल्डींग में धीरे-धीर खतरा मंडरा रहा है। कलक्टोरेट परिसर के पीछे स्थित इंडोर स्टेडियम की छत से पानी गिरने वाली पाइप को किसी अज्ञात चोरों ने उड़ा लिया और बैडमिंटन संघ ने इसे दोबारा लगवाने पर रूचि भी नहीं दिखाई। इसकी वजह से बिल्डींग में बारिश का पानी रिस कर दीवारों को क्षतिग्रस्त कर दिया है।
दीवारों से उखड़ी पाइप को देखकर इसके बाहरी मेंटेनेंस का अंदाजा लगाया जा सकता है। करोड़ों की लागत से बनाया गया इस इंडोर स्टेडियम में राज्यस्तर की खेल प्रतियोगिताएं वर्ष 2014 में कराई गई, जिसमें खिलाडिय़ों ने स्टेडियम को दूसरे जिले के स्टेडियम की तुलना में बेहतर बताया था। प्रतियोगिता खत्म होते ही स्टेडियम की हालत जर्जर के कगार पर पहुंचने वाली है।
शुल्क लेता है संघ
बैडमिंटन स्टेडियम की देखरेख के लिए बैडमिंटन जिला संघ के द्वारा खिलाडिय़ों से मासिक शुल्क लिया जाता है। इस रकम से स्टेडियम के अंदरूनी टूट-फूट की मरम्मत की जाती है। बैडमिंटन संघ के सदस्य जिस रास्ते से होकर स्टेडियम के भीतर जाते हैं, उसी ओर की दीवार में लगी छत की पाइप की चोरी हो गई है। इसकी मरम्मत कराने के बजाए पूरे बरसात तक उसे बदहाल छोड़ दिया गया। बरसाती पानी से बिल्डिंग की खूबसूरती के साथ ही उसके निर्माण में भी असर पड़ा है। अंदरूनी खूबसूरती को संवारने की व्यस्तता में बाहरी खूबसूरती को नजरअंदाज कर दिया गया।
रणजीता भी बदहाल
करोड़ों की लागत से निर्मित रणजीता स्टेडियम भी बदहाल हो गया है। स्टेडियम की खूबसूरती के लिए शीशे लगाए गए, जिसे असमाजिक तत्वों ने पत्थर मारकर तोड़ दिया। खिलाडिय़ों के लिए बनाए गए ड्रेसिंग रूम में भी गंदगी पसरी हुई है। इसकी साफ-सफाई पर भी ध्यान नहीं दिया जाता है।
गांवों में भी यही हाल
सरकार खेल प्रतिभाओं को निखारने के लिए गावों में भी मिनी स्टेडियम बनवा रही है। इन स्टेडियमों की सुरक्षा और देखरेख भगवान भरोसे है। जिले में बने अबतक के मिनी स्टेडियमों की हालत भी खराब हो चुकी है। ऐसे में खर्च के बाद भी कोई विशेष फायदा तो मिल नहीं रहा पर जो बना है वह भी चौपट हो रहा है।