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हे भगवान यह नेशनल हाईवे है या गांव की कच्ची सड़क

locationजशपुरPublished: Dec 11, 2016 10:33:00 am

Submitted by:

Kajal Kiran Kashyap

मेन्टेनेंस के अभाव मे सड़क से डामर की परत पूरी तरह से गायब हो चुकी है। सडक पूरी तरह से गड्ढों में तब्दील हो चुकी है।

national haighway-43

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जशपुरनगर. लोदाम से जशपुर] कुनकुरी, कांसाबेल व पत्थलगांव से होकर गुजरने वाले गुमला-कटनी एनएच 43 की हालत लगातार खराब होती जा रही है। और इन दिनो जिले के कुनकरी से झारखण्ड की सीमा पर स्थित शंख तक यह सड़क पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है। इनसे होकर गुजरने वाले हर प्रकार के छोटे-बड़े वाहनों और यात्रियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पढ़ रहा है। मेन्टेनेंस के अभाव मे सड़क से डामर की परत पूरी तरह से गायब हो चुकी है। सडक पूरी तरह से गड्ढों में तब्दील हो चुकी है। जशपुर के गम्हरिया से लेकर चांपाटोली और कांईकछार तक की सडक तो इतनी खराब हो गई है कि यहां से जशपुर तक जाने में ही गाडिय़ों को घंटे भर लग रहे हैं। इसके बाद भी सड़क मे फैले हुए बोल्डर और गिट्टी से गाडिय़ो के टायर खराब हो रहे है, वही बड़े गड्ढों मे चार पहिया वाहनो का चलना मुश्किल कर दिया है।

इसके बाद लोरो घाटी से पतराटोली और चरईडांड तक इस सडक की बदहाली से लोग भारी परेशान हैं। आज से करीब 15 दिन पहले नेशनल हाईवे विभाग की समीक्षा बैठक के बाद जिला प्रशासन ने इस संबंध में जानकारी दी थी कि इस सडक की मरम्मत का काम बस शुरू होने वाला है और दो सप्ताह के अंदर कुनकुरी से जशपुर होकर लोदाम तक की सडक का मरम्मत का काम पूरा हो जाएगा पर अफसोस की आज तक इस मरम्मत के काम का श्री गणेश ही नहीं हो सका।

एनएच 43 की बदतर हालत की सुधार को लेकर विभाग के अधिकारी कुछ कहने की स्थिति में नही हैं। यहां तक कि कलक्टर के निर्देश के बाद भी इस विभाग के अधिकारियों की सिर पर जूं नहीं रेंग रही है।

कोर्ट को आना पडा था सामने
वर्ष 2015 मे भी जिला न्यायालय मे दायर एक परिवाद की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने एनएच की बदहाल स्थिति को लेकर जशपुर जिला प्रशासन व एनएच के अधिकारियो को जमकर फटकार लगाई थी। राष्ट्रीय राजमार्ग की बदहाली से नाराज न्यायालय ने सुधार ना होने पर अधिकारियों को न्यायालय के अवमानना के तहत प्रकरण दर्ज कर कार्रवाई की चेतावनी थी, तक कहीं जाकर कोर्ट की फटकार के बाद एनएच मे पेंच रिपेयरिंग का काम किया गया था। लेकिन गुणवत्ताविहीन रिपेयरिंग पहली ही बारिश मे पूरी तरह से धूल गई और हालात आज एक बार फिर जस के तस हैं।
जिले की लाइफ लाइन 
गुमला-कटनी राष्ट्रीय राजमार्ग पत्थलगांव से शंख तक लगभग डेढ़ सौ किलोमीटर लंबा है। हवाई व रेल सेवा के अभाव में यह जिले के विकास से लेकर आवागमन और हर प्रकार के कारोबार के लिहाज से जिले लिए जीवन रेखा के समान है। संभाग मुख्यालय अंबिकापुर के साथ पड़ोसी राज्य झारखण्ड सहित अन्य राज्यों से जिले के जुड़ाव का एकमात्र साधन यह राष्ट्रीय राजमार्ग ही है। आदिवासी बाहुल्य जशपुर जिले में विकास को गति देने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा कटनी-गुमला राष्ट्रीय राजमार्ग की घोषणा की गई थी, लेकिन पिछले एक दशक में सड़क के मेन्टेनेंस और पुर्ननिर्माण के नाम पर करोड़ों खर्च करने के बाद भी जिले में इस एनएच की हालत लगातार बदतर होती जा रही है। इसी नवम्बर में एनएच 43 की इस बदहाली के विरोध में पत्थलगांव के लोगों ने क्रमिक भूख हड़ताल किया था। इसके बाद भी एनएच की स्थिति में कोई सुधार नहीं है।
नहीं माने निर्देश
पिछले दिनों एनएच विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान जिला कलक्टर प्रियंका शुक्ला ने एनएच के अधिकारियों को कुनकुरी से शंख के बीच बुरी तरह से छतिग्रस्त हो चुके राष्ट्रीय राजमार्ग के सुधार का काम एक हफ्ते में शुरू करने के निर्देश दिया थे, लेकिन 15 दिन से अधिक का वक्त बीत जाने के बाद एनएच का मेन्टेनेंस कार्य शुरू नहीं हो पाया है। एनएचच विभाग के एसडीओ एसआर भगत का कहना है कि रिपेयरिंग के लिए टेंडर की प्रक्रिया अंतिम चरण में है और एक हफ्ते के अंदर काम शुरू कर दिया जाएगा। लेकिन टेंडर प्रक्रिया पूरी होने का बाट जोह रहे अधिकारियों के सामने एक बार फिर टेंडर बिलो रेट में जाने का भय सता रहा है। अधिकारियों का कहना है कि प्रतिस्पर्धा की वजह से ठेकेदार शासन द्वारा निर्धारित दर से कम का दर भर कर ठेका प्राप्त कर लेते हैं, लेकिन काम के शुरू होने पर घाटा होने की आशंका पर काम को अधूरा छोड़ कर भाग जाते हैं।

जिले के शुरू से अंत तक होकर गुजरने वाली कटनी-गुमला राष्ट्रीय राजमार्ग 43 पर भारी व हल्के वाहनों का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। रेल व हवाई सुविधा के अभाव में जिले में सफर और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति का एकमात्र साधन सड़क मार्ग ही है। एनएच 43 के माध्यम से जशपुर जिला संभाग मुख्यालय अंबिकापुर, रायगढ़, झारखण्ड के गुमला और ओडिसा के झारसुगड़ा से जोड़ता है। ओडिसा, झारखण्ड और रायगढ़ जिले में बढ़ रहे उद्योगों से एनएच पर परिवहन का दबाव लगातार बढ़ रहा है।
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