जौनपुर. जिले में मकर संक्रान्ति का पर्व अर्थात खिचड़ी का त्योहार मनाने की तैयारी अन्तिम दौर में पहुंच गयी है। इस पर्व को लेकर बाजारों मे चहल पहल बढ़ गई है। खिचड़ी पहुंचाने के लिए लोग विभिन्न साधनों से जा रहे है। बस स्टेशनों पर ऐसे लोगों की भीड़ देखी जा रही है। छोटी बड़ी हर बाजार में जगह-जगह लाई, चूड़े की दुकान सज गई है। जहां लाई, चूड़ा, तिलवा, गुड़ और चीनी की पपड़ी, गट्टा, सहित अन्य दुकानों पर खरीददारों का ताता लगा हुआ है। अभिभावक पुरानी परम्पराओं का बखूबी निर्वहन करते हुए अपने बहन बेटियों के घर खिचड़ी भिजवाने का कार्य तेज कर दिये हैं।
बाजारों में लाई चूड़े के साथ-साथ पतंग की बाजारें भी सज गयी हैं। बच्चे ठंड के कारण स्कूल बन्द होने के कारण पतंगबाजी का जमकर लुत्फ उठा रहे हैं। सूर्य भगवान की उपासना और दान के इस पर्व को ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। अपने खेतों में उत्पादिन धान से लाई चूड़ा कुटाकर तथा गन्ने से तैयार गुड़ से विभिन्न प्रकार के सामान बनाये जाते है। जबकि शहर में दुकानों से यह सभी चीजें खरीदकर पर्व के मौके पर उसका सेवन करते हैं। ज्ञात हो कि शास्त्रों के अनुसार मकर संक्रान्ति में दक्षिणायण को देवताओं की रात अर्थात नकारात्मकता का प्रतीक तथा दत्तरायण को देवताओं का दिन सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है।
इस लिये इस दिन, जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रिया कलापों का विशेष महत्व होता है ऐसी धारणा है कि इस दिन दिया हुआ दान सौ गुनपा बढ़कर प्राप्त होता है। इस दिन शुद्ध घी और कम्बल का दान मोक्ष की प्राप्ति कराता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान भाष्कर अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाते है। शनिदेव मकर राशि के स्वामी है इस दिन को मकर सक्रानित के नाम से जाना जाता है। महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिए इसी दिन का चयन किया था।