झुंझुनूं। जिले में मुख्यमंत्री निशुल्क दवा
योजना दम तोड़ती नजर आ रही है। अस्पतालों में दस्त, बुखार और दर्द निवारक दवाइयां
भी उपलब्ध नहीं है। ऎसे में चिकित्सकों द्वारा लिखी गई पांच में केवल दो-तीन
दवाइयां भी रोगियों को उपलब्ध हो रही हैं। घंटों कतार में खड़े रहने के बाद भी पूरी
दवा नहीं मिलने पर रोगी मेडिकल स्टोर से दवा खरीदने को मजबूर हैं।
मजे की
बात यह है कि मौसम बदलने के साथ अब मौसमी बीमारियों के फैलने की आशंका बनी हुई है।
वहीं शहर के बीडीके अस्पताल में स्थित मुख्यमंत्री निशुल्क दवा वितरण केंद्रों पर
दस्त निवारक दवा (इस्पारलैक) और बुखार व दर्द में काम आने वाली दवा पैरासिटामोल भी
उपलब्ध नहीं है। प्लेन पैरासिटामोल उपलब्ध नहीं होने के कारण रोगियों को उनके साथ
के मिक्स सॉल्टकी दवा दी जा रही है।
जांच में दवा मिली अमानक
योजना के
तहत आपूर्ति की गई दवा जांच में अमानक पाई गई। जिला औषधि नियंत्रक विभाग की ओर से
गत दिनों जिला औषधि भंडार से लिए गए दवाइयों के सैम्पल में सुगर नियंत्रण करने के
लिए दी जाने वाली दवा (गिलीगाइड) अमानक पाई है। वहीं बीडीके अस्पताल में स्थित
निशुल्क दवा केंद्र से लिए गए पैरासिटामोल का सैम्पल भी जांच में अमानक पाया गया
है। जिला औषधि नियंत्रण विभाग ने पैरासिटामोल दवा बनाने वाली कंपनी के खिलाफ
न्यायालय में केस भी दायर किया है।
सभी के लिए खांसी की एक ही
दवा
अस्पताल में हर वर्ग के लिए खांसी की एक ही दवा उपलब्ध है। बुजुर्गो व
बच्चों के लिए एक ही दवा उपलब्ध होने से चिकित्सक रोगियों की उम्र के हिसाब से उसका
डोज बताते हैं। हालांकि बच्चों के लिए खांसी की दवा अलग होनी चाहिए।
अस्पताल
में सरकार की ओर से दी जाने वाली दवाइयां उपलब्ध हैं। जो नहीं है। उनको मंगवाने का
प्रयास किया जाएगा। रोगियों को दवा के लिए परेशान नहीं होने दिया जाएगा। डॉ. एसआर
गोठवाल, पीएमओ बीडीके अस्पताल, झुंझुनूं