scriptपुलिस भर्ती में धांधली का पर्दाफाश | Police recruitment expose rigging | Patrika News

पुलिस भर्ती में धांधली का पर्दाफाश

locationजोधपुरPublished: Mar 28, 2015 01:59:00 am

राजस्थान उच्च न्यायालय ने
बीकानेर में वर्ष 2008 में की गई पुलिस कांस्टेबल भर्ती में फर्जीवाड़ा

Rajasthan High Court

Rajasthan High Court

जोधपुर।राजस्थान उच्च न्यायालय ने बीकानेर में वर्ष 2008 में की गई पुलिस कांस्टेबल भर्ती में फर्जीवाड़ा और भारी अनियमितताओं की पुख्ता जानकारी आने के बाद मामले को अत्यधिक गंभीर व संवेदनशील मानते हुए राज्य के गृह सचिव को छह सप्ताह में आंतरिक गोपनीय जांच कर न्यायालय के समक्ष रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं।


न्यायाधीश संदीप मेहता ने शुक्रवार को इस मामले में रिकॉर्ड देखने के विरूद्ध न्यायालय के समक्ष जवाब पेश करने पर पुलिस अधीक्षक व प्रभारी अधिकारी द्वारा बिना शर्त माफी मांगने के बाद मामले के गंभीर तथ्यों के मद्येनजर यह आदेश दिए। राज्य के गृह सचिव विधानसभा सत्र के कारण कोर्ट में उपस्थित नहीं हो पाए।


उच्च न्यायालय के आदेश की पालना में पुलिस अधीक्षक संतोष चावले ने उपस्थित होकर स्वीकार किया कि भर्ती में याचिकाकर्ता के अलावा करीब एक दर्जन अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थी मेरिट में होते हुए नियुक्ति से वंचित रहे हैं। उन्होंने कहा कि वे दो दिन में केवल एक वर्ग का ही रिकॉर्ड देख पाए हैं, अन्य वर्ग की भर्ती का रिकॉर्ड नहीं देख पाए हैं।


उच्च न्यायालय ने पुलिस भर्ती में मेरिट से हटकर नियुक्तियों का खुलासा होने पर मामले को गंभीर माना और निर्देश दिए हैं कि एक सप्ताह में पुलिस अधीक्षक भर्ती में शामिल सभी अभ्यर्थियों की वरीयता से सूची बनाकर पेश करें तथा फिर मामले का रिकॉर्ड सुरक्षित राज्य के गृह सचिव को उपलब्ध कराएं, ताकि वे छह सप्ताह में जांच करवाकर न्यायालय के समक्ष रिपोर्ट पेश करें।


बिना शर्त मांगी माफी


न्यायाधीश मेहता ने पुलिस भर्ती जैसे संवेदनशील मामले में रिकॉर्ड के विरूद्ध दोषी अधिकारियों को बचाने के लिए गैरजिम्मेदाराना जवाब पेश करने पर उपस्थित अधिकारियों की जमकर खिंचाई करते हुए इसे न्यायालय की अवमानना माना।

हाईकोर्ट ने अधिकारियों की ओर से राजकीय अधिवक्ता सज्जनसिंह द्वारा पेश बिना शर्त माफी नामे पर अधिकारियों से भविष्य में सावधानी बरतने को कहा।


अयोग्य व्यक्ति हो गए भर्ती

राजकीय अधिवक्ता ने कहा कि याचिकाकर्ता शंभूराम मीना को न्यायालय के आदेश पर नियुक्ति तत्काल सम्पूर्ण परिलाभों के साथ दे दी है।

जबकि याचिकाकर्ता का कहना था कि अधिकारियों की मिलीभगत के कारण न केवल याचिकाकर्ता सात वर्ष तक पुलिस सेवा से वंचित रहा, बल्कि कई अन्य अभ्यर्थी अभी तक वरीयता सूची में होने के बावजूद सेवा नहीं पा सके और अयोग्य व्यक्तियों की भर्ती षड्यंत्रपूवर्क की गई है।

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