दिल का दर्द लिए रात भर का इंतजार
जोधपुरPublished: Nov 24, 2015 01:45:00 am
समूचे थार में केवल जोधपुर में ही सरकारी अस्पताल में कार्डियोलॉजिस्ट की सुविधा है। एेसे में हृदय
जोधपुर।समूचे थार में केवल जोधपुर में ही सरकारी अस्पताल में कार्डियोलॉजिस्ट की सुविधा है। एेसे में हृदय रोग के मरीज रात को ही मथुरादास माथुर अस्पताल की कार्डियक ओपीडी के बाहर पहुंचकर कतार में लग जाते हैं। बीते रविवार की रात भी एेसे ही गुजरी। बाड़मेर, जैसलमेर सहित जिले के कई हिस्सों से मरीज व उनके परिजन रात दस बजे से अस्पताल के कार्डियोथोरेसिक वार्ड के बाहर पहुंचना शुरू हो गए। देर रात एक बजे तक 25 से अधिक मरीज आकर ताला बंद ओपीडी के दरवाजे के बाहर सो गए। सर्दी की रात में खुले में सो रहे ये लोग अपने साथ कम्बल और रजाई तक लेकर आए। अलसुबह उठ दैनिक क्रियाओं से निवृत्त हो ओपीडी के बाहर नाम लिखवाने में लग गए। कुछ मरीजों को तो हर महीने कार्डियोलॉजिस्ट से जांच करवानी पड़ती है।
एक घंटा पहले बनती लिस्ट
एमडीएम अस्पताल में तीन कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. संजीव सांघवी, डॉ. पवन शारडा और डॉ. रोहित माथुर हैं और सप्ताह में चार दिन कार्डियक ओपीडी लगती है। सोमवार व गुरुवार डॉ. सांघवी, सोम व बुध डॉ. शारडा और गुरु व शनि डॉ. माथुर की ओपीडी होती है। सप्ताह में केवल चार ओपीडी होने से मरीजों की यहां लम्बी कतार रहती है। सोमवार को 194 मरीजों की ओपीडी रही। सर्दी व सावों का मौसम होने से मरीज कम आए, अन्यथा ओपीडी का आंकड़ा 350 तक पहुंच जाता है और कार्डियोलॉजिस्ट के लिए हर मरीज को समय दे पाना मुश्किल होता है। ओपीडी का समय सुबह नौ बजे से है, लेकिन रात को मरीज आने से नर्सिंगकर्मी सुबह 8 बजे से ही मरीजों की लिस्ट बनाने लग जाते हैं ताकि गांव व दूर-दराज से आए मरीज अपनी जांच पहले करवा सकें।
एमजी अस्पताल में गुरुवार को ओपीडी
डॉ. रोहित माथुर गुरुवार को महात्मा गांधी अस्पताल में कार्डियक ओपीडी लेते हैं। वहां एक छोटे से कमरे में उनकी ओपीडी लगती है। गांधी अस्पताल में उनकी ओपीडी होने से एमडीएम अस्पताल की ओपीडी में गुरुवार को केवल डॉ. सांघवी ही बैठ पाते हैं। कार्डियक की सारी सुविधाएं एमडीएम अस्पताल में होने के बावजूद राजनीतिक कारणों से गांधी अस्पताल में अभी भी कार्डियक ओपीडी संचालित हो रही है।
मरीज कहते हैं
सुबह बारी नहीं आती
मेरे हार्ट में दिक्कत है। मैं पालड़ी गांव से रात दस बजे ही यहां पहुंच गया। अगर सुबह आता हूं तो कतार लंबी होने से कई बार बगैर दिखाए ही जाना पड़ता है। हरलाल (75), पालड़ी गांव
वाल्व खराब है
मेरे हृदय के वाल्व में दिक्कत है इसलिए पत्नी संग बालोतरा से आया हूं। मुझे हर महीने आना पड़ता है। सुबह भीड़ अधिक होती है इसलिए रात में ही आकर यहां सो जाते हैं। दुर्गाराम (50), बालोतरा