कवर्धा. महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा इस वर्ष करीब 500 जोड़ों का विवाह किए जाने का लक्ष्य मिला है, लेकिन अब तक विभाग के पास एक भी आवेदन नहीं मिले हैं। ऐसे में योजना खटाई में जाती हुई दिखाई दे रही है।
गरीब परिवार को आर्थिक समस्या के चलते बेटे-बेटियों की शादी कराने में दिक्कते होती हैं। इसके चलते शासन ने वर्ष 2005 में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना शुरुआत की। इसके लिए क्रियान्वय की जिम्मेदारी महिला एवं बाल विकास विभाग को सौंपा गया। हर साल अधिकारी योग्य वर-वधु को ढूंढकर शादी रचाते हैं। इस साल भी विभाग को शादी कराने के लिए 500 जोड़ों का लक्ष्य मिला है। जिले में रोजाना शादियां भी हो रही है, लेकिन महिला एवं बाल विकास विभाग के अािकरियों को अब तक योग्य वर-वधु नहीं मिल पाए हैं। विभाग के अधिकारियों ने वर-वधु ढूंढने की जिम्मेदारी परियोजनाओं को दे दिया गया है और परियोजना के अधिकारी आंगनबाड़ी के कार्यकर्ता व साहिकाओं को दे दिया गया है। लेकिन इन कार्यकर्ताओं के गांव-गांव ढूंढने के बाद भी योग्य वर-वधु नहीं मिल पा रहे। इसके कारण कार्यकर्ताओं को जोड़ा ढुंढने के लिए मेहनत करनी पडेगी।
कार्यकर्ताओं पर निर्भर
मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के क्रियान्वयन में अधिकारी दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। इस योजना को लेकर भी वे पूरी तरह आंगनबाड़ी के कार्यकर्ताओं पर निर्भर हैं। मॉनिटरिंग के अभाव में अधिकांश कार्यकर्ता भी वर-वधु ढूंढने में गंभीरता नहीं दिखाते। योजना का सही ढंग से प्रचार-प्रसार नहीं होने के कारण जरुरतमंद लोग भी सामने नहीं आते। जबकि कार्यकर्ताओं के भरोसे अधिकारी योजना चलाना चाहते हैं।
इसलिए मिलती है शिकायत
सामूहिक विवाह में अधिकारी खुद मॉनिटरिंग नहीं करते। इसके कारण विवाह के दौरान कई प्रकार की शिकायतें रहती हंै। पंजीयन व विवाह के बाद पता चलता है कि कार्यकर्ताओं द्वारा विवाह के लिए पात्र नहीं होने के बाद भी योजना में शामिल कर लिया जाता है। यहां तक कि अधिकारी विवाह के लिए मुहूत भी नहीं देखते हैं। वहीं वर-वधु के पंजीयन के समय ही सारी जानकारी इक्कट्ठा किया जाना चाहिए। इसके बाद भी विवाह हो चुके ऐसे जोड़ों का भी विवाह करा दिया जाता है। इसके कारण योजना का लाभ जरुरत मंद लोगों को नहीं मिल पाता है।
500 का लक्ष्य
जिले में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत करीब 500 जोड़ों की शादी जनवरी में किया जाना है। सभी परियोजनाओं को लक्ष्य दिया गया है। आवेदन परियोजनाओं में जमा होंगे। आंगबाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से पंजीयन होता है।
अतुल परिहार, कार्यक्रम अधिकारी महिला एंव बाल विकास विभाग, कबीरधाम
नि:शुल्क होता है शादी
कन्या के विवाह का पूरा खर्च शासन उठाता है, यानी सामूहिक विभाग में शादी नि:शुल्क ही होती है। इसके अलावा नौ हजार रुपए की राशि से आलमारी, कूकर, घड़ी, बर्तन समेत अन्य जरुरत के सामान दिया जाता है। साथ ही प्रोत्साहन राशि के रुम से एक हजार रुपए जोड़े को विवाह के दौरान दिया जाता है।