कांकेर. छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में मरीजों को मुफ्त में मिलने वाली सरकारी दवा नक्सलियों तक पहुंच रही है। अभी हाल ही में मारे गए नक्सलियों के पास से पुलिस महकमा ने सरकारी दवाओं बरामद किया था। इधर शहर में लाखों की एंटीबॉयटिक सरकारी दवा सीएमएचओ परिसर में कबाड़ में पड़ी मिली। पत्रिका टीम ने इस बारे में अधिकारियों से बात करनी चाही लेकिन किसी ने जवाब नहीं दिया।
सरकारी दवा मरीजों को मुफ्त में देना शायद स्वास्थ्य विभाग को रास नहीं आ रहा है। लाखों की एंटीबॉयटिक सरकारी दवा सीएमएचओ परिसर में शनिवार को भी कबाड़ में पड़ी रही। पत्रिका में खबर प्रकाशित होने के बाद लोगों के नजरों से बचाने के लिए कबाड़ में पड़ी दवाओं को होर्डिंग्स एवं पोस्टर से ढंगकर सामने से सरकारी वाहन खड़ा कर दिया गया। कबाड़ में पड़ा पेरासिटामोल का सिरफ हजारों बीमार लोगों को उपयोग के लिए आया है। अधिकांश अस्पतालों में पेरासिटामोल की दवा अभी तक नहीं पहुंची है।
वहीं, आपको जानकारी हैरानी होगी इन दवाओं को गुपचुप तरीके से नक्सलियों को सप्लाई की जा रही है। हालांकि अभी तक कोई भी पुख्ता सबूत नहीं मिलने के कारण इसका खुलासा नहीं हुआ है। बरहाल पुलिस इस मामले की पूरी जानकारी करने का दावा कर रही है।
स्वास्थ्य केन्द्रों में दवा नहीं
बारिश के समय बुखार के मरीज बढ़ रहे हैं। अधिकांश लोगों को एंटीबायोटिक दवा के रूप में पेरासिटामोल दिया जाता है। अंचल के अधिकांश प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में यह दवा नहीं है। जिले के प्राथमिक, सामुदायिक एवं जिला अस्पताल में मरीजों को बाहर से यह दवा खरीदनी पड़ रही है। पेरासिटामोल का सिरफ जनवरी 2019 तक उपयोग में लिया जा सकता है। कबाड़ में फेंकी दवाओं के बारे में जानकारी देने के बजाय अफसर चुप्पी साधे हुए हैं। 20 पेटी सरकारी दवा यहां खराब हो रही है। दवा की पेटियां खुली हैं। स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते अंचल के अधिकांश प्राथमिक और सामुदायिक स्वस्थ्य केंद्रों में पेरासिटामोल नहीं है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी जेएल उइके ने कहा कि सभी दवाओं को सुरक्षित स्थान पर रखवा दिया गया है, जबकि पत्रिका टीम को दूसरे दिन भी दवा कबाड़ में रखी मिली।
नक्सलियों तक पहुंच रही सरकारी दवा
अभी हाल ही में मारे गए नक्सलियों के पास से पुलिस महकमा ने सरकारी दवाओं को बरामद किया था। दवाओं पर सरकारी मुहर भी लगी थी। आखिर माओवादियों के पास सरकारी दवा कैसे पहुंचती है।