कांकेर. चारामा विकासखण्ड के हल्बा लैम्पस के तेरह गांवों के 1500 किसानों का फसल तेज आंधी व पानी से एक हजार एकड़ का फसल पूरी तरह नष्ट हो गई है, जिससे ग्रामीणों की काफी दिक्कत बढ़ गई है। लोगों का कहना है कि यदि जल्द मुआवजा नहीं मिला तो परेशानी काफी बढ़ जाएगी, क्योंकि पिछले वर्ष जहां सूखा के कारण फसल खराब हो गई थी, वहीं इस वर्ष आंधी-पानी ने बर्बाद कर दिया। खराब फसल का सर्वे कराकर क्षतिपूर्ति कराने की मांग को लेकर ग्रामीणों ने बुधवार को कलक्टर को ज्ञापन सौंपा है।
ग्रामीणों ने बताया कि इस वर्ष वर्षा होने से किसानों ने अच्छी फसल होने की उम्मीद लगाई थी, लेकिन एक माह पहले हुई तेज बारीश व हवा तुफान से हल्बा लेम्पस के अंतर्गत आने वाले 13 ग्रामों के किसानों का खरीफ फसल जमीन पर लेट गई है।पानी में डूबने से धान का फसल सड़ गल कर बर्बाद हो गई है। इसमें प्रति किसानों का एक एकड़ से पांच एकड़ का फसल शामिल है। ग्रामीणों ने कलक्टर के नाम ज्ञापन सौंपकर गांव के पटवारी से सर्वे कराकर क्षतिपूर्ति हेतु फसल बीमा की राशि दिलाने की मांग की है। किसानों का कहना था कि पिछले वर्ष बारिश न होने से परेशानी बढ़ गई थी, जबकि इस वर्ष फसल अच्छी थी लेकिन आंधी ने सब चौपट कर दिया।
ज्ञापन सौंपने वालों में एस कुजांम, प्रीत राम सिन्हा, जोहन, सुन्दर,गंगा बाई सिन्हा, सुमित्रा, बीर सिंह सिन्हा, राम जी, सखन, मनराखन सेवता, सातो बाई सिन्हा, तेज बाई, नकुल राम, प्रदीप सिन्हा, राम भरोसा विश्वकर्मा, आजु राम सिन्हा सहित अन्य ग्रामीण शामिल थे।
इन गांवों के किसान हुए प्रभावित
ग्रामीणों ने बताया कि पिछले वर्ष सूखा पडऩे से उन्हे नुकसान उठाना पड़ा था। इस बार अधिक बारिश के चलते उनके फसल सड़-गल कर बर्बाद हो गई है। किसानों ने बताया कि प्रभावित ग्रामों में गितपहर, हल्बा, भानपुरी, मुडधोवा, रानी डोंगरी, बाड़ाटोला, पलेवा, टिकरापारा, दुर्गाटोला, कोटेला, भैंसाटोला, शहवाड़ा, पत्थर्री डोड़कावाही ग्राम शामिल है।