कांकेर. एक ओर केन्द्र व राज्य सरकार स्वच्छ भारत मिशन चला कर जिला को शौचमुक्त ग्राम घोषित करने में लगे है। तो वहीं दूसरी ओर जिले के सबसे पुराने पीजी कालेज में छात्राओं के लिए शौचालय व मुुत्रालय नही होने से उन्हे शर्मशार होनी पड़ रही है। यह बता दें कि छात्राओं के कई बार ज्ञापन सौपने के बाद जनभागीदारी समिति जागी है और शौचालय बनवाने का प्रस्ताव पारित किया है।
जानकारी के मुताबिक भानुप्रतापदेव शासकीय स्नात्तकोत्तर कालेज की स्थापना 4 जुलाई 1962 को ग्राम्य भारती उपाधि महाविद्यालय के नाम से हुई। एक जनवरी 1975 को मप्र शासन द्वारा इसे अधिग्रहित कर लिया गया। कालेज को बस्तर विश्वविद्यालय की स्थाई संबद्वता प्राप्त है। कॉलेज में अब भी कई विषयों के प्रोपेसरों की कमी है, जिसकी कमी को पूरी करने के लिए जनभागीदारी व संविदा के प्रोपेसरों की नियुक्ति की गई है। कालेज में समस्याओं का अंबार है, छात्र संघ द्वारा पिछले कुछ वर्षो से मांग करते-करते थक चुके है। सबसे ज्यादा समस्या है लड़कियों के लिए शौचालय व मूत्रालय का। कालेज परिसर में एक महाविद्यालय स्टाफ व एक छात्रों के लिए है।
बीएससी द्वितीय व तृतीय वर्ष के छात्राओं का कहना था कि कालेज में एक शौचालय एक था, वह भी जर्जर हो चुकी है, जिसके चलते उन्हे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। प्राध्यपकों के लिए बनी शौचालय का उपयोग करते है, लेकिन कई बार ऐसी स्थिति निर्मित हो जाती है कि उन्हे शर्मशार होना पड़ता है। छात्रसंघ व छात्र-छात्राओं के लगातार मांग करने के बाद जनभागीदारी समिति ने प्रस्ताव पारित कर शौचालय निर्माण करने के लिए तैयारी में है।
बता दें कि जिला प्रशासन सभी ब्लाक के ग्रामों को शौच मुक्त बनाने के लिए करोड़ो खर्च कर चुकी है, लेकिन शहर के सबसे बड़े पीजी कालेज में शौचालय निर्माण नहीं किए जाने के कारण छात्राओं को परेशानी उठानी पड़ रही है।
प्रशासन बेखबर
छात्राओं का कहना था कि उच्च शिक्षा के लिए कालेज में शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों से सैकड़ो विद्यार्थी आते है। प्रतिवर्ष उनसे जनभागीदारी समिति निर्धिारित शुल्क लेती है, लेकिन छात्राओं के हित में किसी प्रकार का पहल नही किया जाता है। कालेज की ओर जिला प्रशासन भी झांकने तक नही आती है। जबकि निर्वाचन कार्य के समय उनके ही कालेज का अधिग्रहण करती है, उस समय उनका पढ़ाई भी प्रभावित होता है।
पीजी कॉलेज कांकेर के पूर्व छात्रसंघ सचिव निकिता श्रीवास्तव ने बताया कि शौचालय व मूत्रालय की मांग पिछले कई वर्षो से किया जा रहा है। परिसर में एक पुराना शौचालय, लेकिन जर्जर हालत में, बाजू में छात्राओं के लिए कामन रूम है। जहंा उन्हे असहनीय बदबू से परेशान होना पड़ता है।
शासकिय पीजी कॉलेज कांकेर के प्राचार्य डॉ कोमल सिंह सार्वा ने बताया कि जनभागीदारी समिति द्वारा प्रपोजल तैयार किया गया है, शौचालय का निर्माण बहुत ही जल्द शुरू किया जाएगा।