कन्नौज. जहां एक ओर आधुनिक चकाचौंद में भारतीय सभ्यता और संस्कृति विलुप्त होती जा रही तो वही समाज सेवियों और उद्योगपतियों की कम रूचि लेने के कारण पुस्तकों में दर्ज कन्नौज की गौरव गाथा का अब लोगों तक पहुँच पाना मुश्किल हो रहा है, क्योंकि इत्रनगरी के पराक्रमी राजाओं की गाथाओं को समेटे पुस्तकें एक समाजसेवी संगठन द्वारा संचालित पुस्तकालय में मिल जाती थीं, लेकिन अब तक़रीबन छह साल से यह पुस्तकालय देखरेख के अभाव में बंद पड़ा है | जिस कारण युवा पीढ़ी अपने ही इतिहास से दूर होती जा रही है |
तमाम पुरातत्व सम्पदाओं को अपने में समेटे कन्नौज का इतिहास अब खतरे में है | धर्म और इतिहास की नगरी की गौरव गाथा को कुछ साहित्कारों ने अपनी किताबों में समेट कर रख लिया | आने वाली पीढ़ी इन पुस्तकों का अध्य्यन कर अपने नगर की गौरव गाथा से वाकिफ हो जाता था | इन पुस्तकों को समाजसेवी संगठन रोटरी क्लब द्वारा इत्रनगरी की कला चौकी के पास संचालित पुस्तकालय में सुरक्षित रखा गया | पुस्तकालय की देखरेख के लिए कर्मचारियों की नियुक्ति की गयी थी |
समाजसेवियों और उद्योगपतियों के कोष से संचालित था पुस्तकालय-
इन कर्मचारियों को संगठन के कोष से तनखवाह दी जाती थी, लेकिन इस कार्य में समाजसेवियों और उद्योगपतियों द्वारा रूचि न लिए जाने से संगठन में कोष की भारी कमी आ गई | पुस्तकालय की देखरेख करने वाले कर्मियों की तन्खवाह भी बंद हो गई और फिर वर्ष 2011 से इस पुस्तकालय में ताला लग गया |
जिस कारण न तो युवा पीढ़ी को पुस्तकें पढ़ने को मिल पाती और न ही वह कन्नौज की गौरवशाली गाथा से परिचित हो पा रहे| पुस्तकालय में रखी पुस्तकों में दीमक लग गई और वह नष्ट होने की कगार पर पहुंच गई | ऐसे में कन्नौज के इतिहास को जान पाना यहां के लोगों के लिए मुश्किल हो गया है।