नीरज श्रीवास्तव.
कन्नौज. जिले में यातायात पुलिस कर्मियों की कम संख्या के कारण वाहनों की अराजकता चरम पर है। चौराहों पर सिपाहियों की कमी के कारण हर दम जाम के हालात बने रहते हैं। कई साल से ऐसी स्थिति के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। हालात ये हैं कि महज आठ पुलिसकर्मियों के कंधों पर पूरी व्यवस्था टिकी हुई है। जिसका सबसे ज्यादा फायदा अराजक तत्व और डग्गामार वाहन उठा रहे हैं। जिनका साफ कहना है कि बस सोलह आँखों से बचो, और खूब करो मनमानी।
जिले में लगातार बढ़ते वाहनों से यातायात दबाव प्रशासन के लिए चिंता का सबब बना है। दिन पर दिन हादसे बढ़ रहे हैं और लोग शिकार बन रहे हैं। बढ़ते हादसों की संख्या पर रोक के लिए जिला प्रशासन के इंतजाम ना काफी हैं। कई साल से जिले में यातायात व्यवस्था की हालत पतली है।
जिले में लगातार वाहनों की संख्या बढ़ रही है जिससे यातायात व्यवस्थित रखने का दबाव प्रशासन के लिए चिंता का सबब बना है। ऐसे में डग्गामार वाहन और अराजक तत्व भी आये दिन यातायात व्यवस्था को ठेंगा दिखाते रहते हैं जिसकी वजह से दिन पर दिन हादसे बढ़ रहे हैं और लोग इन हादसों में अपनी जान गँवा रहे हैं। बढ़ते हादसों की संख्या पर रोक लगाने के लिए जिला प्रशासन के इंतजाम नाकाफी हैं। कई साल से जिले में यातायात व्यवस्था की हालत पतली है। यातायात पुलिस को आधुनिक संसाधनों व पुलिसकर्मियों की कम संख्या यातायात सुधारने में बड़ा रोड़ा बनी है।
पर्याप्त सिपाही न होने के कारण जिले के अधिकांश चौराहों पर पुलिस सहायता केंद्र खाली रहते है। इससे चौराहों पर घंटों जाम लगने के साथ हादसे भी होते हैं। यातायात प्रभारी कमलेश कुमार ने बताया कि पर्याप्त सिपाही न होने से काफी दिक्कते हैं। वीआईपी ड्यूटी के दौरान समस्या और भी गंभीर हो जाती है। कई साल से सिपाहियों की तैनाती के लिए पत्र लिख रहे हैं, लेकिन संख्या नहीं बढ़ी है।
छिबरामऊ व गुरसहायगंज में लगे होमगार्ड
शहर के साथ छिबरामऊ, गुरसहायगंज में यातायात व्यवस्था के लिए छह-छह होमगार्ड भी ड्यूटी पर लगा रखे हैं। इनकी सुबह दस बजे से शाम पांच बजे तक ड्यूटी रहती है। वहीं, तिर्वा में स्थानीय पुलिस के हवाले यातायात व्यवस्था की जिम्मेदारी है। बड़ी घटना या वीआईपी ड्यूटी लगने पर शहर की यातायात व्यवस्था चौपट हो जाती है।
शहर में जाम के मुख्य कारण
-तिर्वा क्रा¨सग पर ओवरब्रिज के निर्माण में देरी ।
-कस्बे से शहर में आने-जाने वाले टेंपो।
-स्कूलों की अलग-अलग समय पर छुट्टी।
-भीड़भाड़ वाले इलाकों में ट्रैफिक पिकेट की कमी।
-सड़क किनारे लगी होर्डिग्स व पेड़, पोल न हटना।
-व्यस्ततम इलाकों में सड़कों का ठीक न होना।
– डगामार वाहनों पर अंकुश न लगना।