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टूटी पटरी से पलटी ट्रेन, डिब्बे नहर में लटके तो जान लोगों के हलक में

हादसा होने के बाद सबसे पीछे खड़ी गार्ड बोगी के आगे वाले कोच के पहियों के पास रेलवे के अधिकारियों की नजर टिक रही थी। यहां पर टूटी पटरी काफी कुछ बयां कर रही थी।

कानपुरDec 30, 2016 / 11:27 am

आकांक्षा सिंह

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कानपुर देहात। पुखरायां में अभी डेढ़ माह पूर्व इंदौर राजेंद्र नगर एक्सप्रेस हादसे से सीख न लेने वाले रेलवे प्रशासन की एक और लापरवाही ने दूसरी घटना को अंजाम दिया। पुखरायां हादसे के बाद भी पेट्रोलिंग अफसर मौज मस्ती में मशगूल बने रहे। जिसके चलते घटना के एक सप्ताह बाद दोबारा चटकी पटरी से राप्ती सागर, इंदौर-पटना सहित तीन ट्रेनें गुजर गयीं थी। जिसमें गेटमैन की सूचना पर मरम्मत कराई गयी थी। बावजूद इसके रूरा हादसे के एक दिन पूर्व तीसरी बार पुखरायां के समीप ही चटकी पटरी पाई गयी। जिसकी जानकारी इंदौर-पटना एक्सप्रेस के ही चालक ने स्टेशन मास्टर को दी और ट्रेन को पहले ही रोक दिया गया। जिससे फिर से हादसा होते बचा। लेकिन आखिर लापरवाही कब तक चलती और उसी लापरवाही ने कानपुर देहात से गुजरी दिल्ली हावड़ा रेलमार्ग पर स्थित रूरा स्टेशन पर अजमेर-सियालदह एक्सप्रेस को चपेट में ले लिया। जिसमे कोई जनहानि तो नही हुयी लेकिन देर रात तक करीब 62 यात्रियों के घायल होने की जानकारी मिली है। जिनमें से गम्भीर 14 यात्रियों को हैलट मे भर्ती कराया गया है।

पटरी के इस हिस्से से मिले घटना के संकेत

हादसा होने के बाद सबसे पीछे खड़ी गार्ड बोगी के आगे वाले कोच के पहियों के पास रेलवे के अधिकारियों की नजर टिक रही थी। यहां पर टूटी पटरी काफी कुछ बयां कर रही थी। टूटी पटरी के कुछ हिस्से पर पड़ा काला निशान पुराना होने की पुष्टि कर रहा था। उसके बाद का टूटा चमकीला हिस्सा झटके से टूटने के संकेत दे रहा था। जबकि रेलवे के एक अधिकारी ने नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर बताया कि पटरी का कुछ टूटा हिस्सा बताता है कि ट्रैक पहले से चटका जैसा था। पूरी तरह टूटने के बाद ही पटरी पर स्याह के बाद चमकीला निशान पड़ा है। जांच कर रहे अधिकारियों ने खम्भा नं 1060/25 एफ व 1061/1 के समीप क्षतिग्रस्त पटरी को चिन्हित किया है, जिसे दुर्घटना की प्राथमिक वजह माना जा रहा है। फिलहाल इस हादसे की जांच भी दो दिन बाद ही शुरू होनी है।

यात्री बोले नहर में कूदकर निकले

प्रतापगढ़ के बागराय से अपने 63 साथियों के साथ माउंटआबू जा रहे अनतराम गुप्ता जिला अस्पताल में अभी तक दहशत में हैं। उन्होंने बताया कि उस समय हम लोग सो रहे थे। जैसे ही ट्रेन में जोरदार धमाका हुआ तो एक पल में डिब्बे के यात्री एक दूसरे के ऊपर गिरने लगे। जैसे डिब्बे में भूचाल आ गया हो और पूरे डिब्बे में धुआं ही धुआं दिख रहा था। अफरा तफरी सी मच गयी थी और वे कुछ देर के लिये बेहोश हो गये थे। फिर नहर में कूदकर सभी लोग कोच से बाहर निकले थे।

दैनिक यात्री भटके तो प्राइवेट वाहनों ने लूटा

घटना के बाद इटावा कानपुर जाने वाले दैनिक यात्री बैग लादकर सड़कों पर वाहनों का इन्तजार करते रहे। घटना से दिल्ली-हावड़ा रेलमार्ग ठप्प होने के बाद मैथा, भाऊपुर, रूरा, अम्बियापुर, झींझक, कंचैसी स्टेशनो पर यात्री भटकने के बाद 200-300 रुपये देकर डग्गामार वाहनें से घर पहुंचे।

मरम्मत का कार्य जारी

हादसे के बाद यात्रियों के राहत कार्य के बाद से लगातार 50 घंटे से रूरा घटनास्थल पर मरम्मत कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है। टूटी पटरियों, ओएचई लाइन, खम्भे आदि मरम्मत के लिये दिन रात अफसरों की निगरानी में कार्य जारी है। डीआरएम संजय कमार पंकज ने बताया कि घटना की जांच के बाद ही हादसे की सही वजह स्पष्ट हो सकेगी। जिसके बाद अग्रिम कार्रवाई की जायेगी।


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