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कानपुर

मोदी जी, पूरे महीने बैंक और एटीएम की जागीर बनकर रह गयी जिंदगी!

मोदी जी की नोटबंदी के बाद इस एक महीने में लोग उधारी की जिंदगी जी रहे हैं।

कानपुरDec 08, 2016 / 02:39 pm

नितिन श्रीवास्तव

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कानपुर देहात. 8 नवम्बर को प्रधानमंत्री के नोटबंदी के आदेश के बाद इस एक महीने में लोग उधारी की जिंदगी जीते नजर आये। लोग पूरे महीने बैंक एवं एटीएम की जागीर बनकर रह गये। नोटबंदी का महीना पूरा हो गया, लेकिन लोगों की जरूरतें अभी भी पूरी नही हो पाई है। रोजाना के खर्चे के लिये पैसे निकालने मे पूरा का पूरा दिन लग रहा है। बावजूद इसके हाँथो मे रुपये नही आ पाते है। एटीएम खुद समस्या से जूझ रहे है, जिससे लोग आजिज हो चुके है। विपरीत परिस्थितियों मे लोग कमीशन पर पैसे लेकर कर्जदार बन गये है। लोगो की नोटबंदी के चलते रूह कराह उठी है। लगातार दूसरे महीने सेलरी पर ग्रहण लगने से प्राईवेट कर्मचारी भी घर के खर्चे को लेकर चिंतित है। अभिभावको को स्कूलों की फीस भरने के लाले पड गये है। लोगो का आरोप है कि बैंक प्रबंधक भी मारामारी के चलते चेहरे देखकर पैसे का भुगतान करते है। लोगो का कहना है कि जिस भ्रष्टाचार के खात्मे के लिये यह अभियान चलाया गया है वह बैंको मे स्पष्ट दिखाई दे रहा है। वीआईपी लोगो के लिये तो दस हजार है, लेकिन आम आदमी के लिये महज दो से चार हजार रुपये ही भुगतान किया जा रहा है।

इन समस्याओं का पूरे महीने रहा पुलिंदा
एक माह बीतने के बाद भी लोग समस्याओं से उबर नही पा रहे है। पैसे न मिलने से समस्याओं का पुलिंदा बढता ही जा रहा है। जहाँ एक दिन मे दो से चार बार एटीएम मे पैसे डालने का दावा था। वहाँ दो दिन से तीन दिन मे एक बार पैसे डाले जा रहे है। बाजारो मे मंदी छाई हुयी है। व्यापारी इस बात को लेकर नाराजगी जता रहे है। इस सम्बंध मे जब पत्रिका के संवाददाता ने लोगो से बात की तो उनकी समस्याये इस तरह सामने आई।

मगलपुर निवासी बीपी सिंह का कहना है कि वह अपनी माता जी को जब अस्पताल दिखाने गये, तो अस्पताल प्रबंधन ने नये नोटो की शर्त सामने रखी। काफी वाद विवाद के बाद पुराने 500 सौ के नोटो पर राजी हुये। लेकिन दवाईयों के लिये मेडिकल स्टोर पर कोई तरीका काम नही आया। जिसके बाद मित्रो से उधार लेकर गुजारा किया गया।

बैंक के बाहर लाइन मे लगे दयापुरवा गांव के किसान अनिल कुशवाहा ने बताया कि पलेवा व सिंचाई के समय पूरे माह किसानो को एक एक पैसे के लिये जूझना पडा है। बाजरा व तिल की फसलें भी घाटे मे बेची है। बाढापुर के किसान राजू तिवारी ने बताया कि आढतियों ने पुराने नोट की शर्त पर साढे 12 सौ रुपये की दर से बाजरा खरीदा था।

अभिभावक मनोज सिंह, राजेश गुप्ता का कहना है कि बच्चो की फीस के लिये विद्यालय से रोजाना फोन आता है। लेकिन नये नोटो की मांग की जाती है। बैंक मे आने पर कैश न होने की बात सामने उधार देने को कोई तैयार नही है। सरस्वती शारदा विद्या मंदिर झींझक के प्रबंधक का कहना है। कि करीब 75 प्रतिशत बच्चो की फीस जमा नही हो सकी है। 25 प्रतिशत लोगो ने चेक या नये नोटो से फीस जमा की है।

सरकारी शिक्षक विजय शर्मा, दीवान सिंह व नरेंद्र यादव का कहना है कि 8 नवम्बर के नोटबंदी के आदेश के बाद इस वेतन नही मिला है, जिससे दैनिक खर्चे भारी पड रहे है। वहीं चुनावी समय मे विद्यालयों मे मरम्मत पुताई नही हो पा रही है। एमडीएम पर भी संकट मंडरा रहा है, क्योकि खातो से पैसे नही निकल रहे है। वहीं बैंक प्रबंधक का कहना है कि पूरा वेतन देने की स्थिति मे बैंक अभी नही है। दस दस हजार रुपये देकर काम चलाया जायेगा।

छोटे व्यापारी सब्जी विक्रेता अकील अहमद व बडे व्यापारी कपिल शुक्ला का कहना है कि बडे नोटों पर पाबंदी के बाद से व्यवसाय चैपट है। फुटकर नोटों के अभाव मे उधारी का बोझ बढ रहा है। सहालगी आर्डर भी उधारी पर लिये जा रहे है। जबकि बडे बाजार मे उधार सामान नही दिया जा रहा है। अगर यह स्थिति कुछ दिन और रही तो भूंखो मरना तय है।

पूर्व प्रधान पप्पू सिंह ने बताया कि मोदी के इस नोटबंदी का फायदा बेटी सोनम की शादी मे मिला है। लडका पक्ष ने बिना दहेज के शादी की है, लेकिन लडकी को विदा करते समय रिवाज के अनुसार घरेलू सामान जरूर दिया गया है। लोगो को कुछ समस्या जरूर सामने आ रही है। लेकिन इसके फायदे भी आगे समय पर मिलेंगे। हालांकि चुनाव मे लोग भाजपा को पसंद करेंगे।

सपा नगर पालिका अध्यक्ष झींझक राजकुमार यादव का कहना है कि केंद्र सरकार का काम नेक है, लेकिन मंशा ठीक नही है। इससे बडा आदमी मजबूत हो रहा है, लेकिन गरीब व मध्यम वर्गीय टूट गया है। लोग भाजपा से विमुख हो रहे है या तो भाजपा को लोगो की समस्याये का ज्ञान नही है या अपना आदेश थोप रहे है।

भाजयुमो जिला उपाध्यक्ष रंजन शुक्ला का कहना है कि आम जनता प्रधानमंत्री के फैसले से खुश है, उनका सम्मान करती है। तभी सडकों पर आंदोलन की बजाए उनके फैसले का सम्मान करते हुये बैंक मे लाइन मे शांती से खडे हो रहे है। भ्रष्टाचार जैसी गम्भीर बीमारी को दूर करने के लिये परेशानियों की कडुवी दवा पीकर देश के लोग अच्छे भविष्य की कामना कर रहे है।
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