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अपने पूरे परिवार के साथ यहां विराजमान हैं भोलेनाथ, होती हैं सभी मुरादें पूरी 

locationकानपुरPublished: Jul 20, 2017 12:10:00 pm

की होती है पूजा अथवा कैलाश छोड यहाँ शमशान मे विराजे भोलेनाथ होती मुरादें पूरी फोटो वीडियो अरविन्द वर्मा 

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कानपुर देहात। शिव भक्तों के लिये सावन का महीना विशेष महत्व लेकर आता है। शिव मंदिरों में लोग अपने आराध्य की पूजा आराधना करते हैं और उन्हें मनाते हैं। अपनी श्रद्धा के अनुरूप लोग भोग लगाकर मनौती मांगते हैं और उनकी मनौती पूरी होने पर वह उस स्थान पर आकर झन्डा व घंटे चढ़ाते हैं। ऐसा ही कहिंजरी के औझान स्थित महाकाल के शिव मंदिर की मान्यता है। यह मंदिर शमशान मे बसा हुआ है, जिसकी एक प्राचीन कहानी है। महाकाल मंदिर को सिद्ध मंदिर का दर्जा दिया गया है। जहां चित्रकूट व कई मठों के संत आकर इसे सिद्ध पीठ घोषित कर चुके हैं। 


जगतगुरु शंकराचार्य ने यहां आकर आराधना की थी। खास बात यह है कि शमशान में बने इस महाकाल मंदिर में भगवान शिव, माता पार्वती, पुत्र गणेश, कार्तिकेय, रिद्धि, सिद्धि आदि पूरे परिवार के साथ विराजमान हैं और उनके समीप ही उनके ग्यारहवें अवतार दक्षिण मुखी हनुमान जी विराजमान हैं। कहा जाता है कि जिनके दर्शन मात्र से ही जीवन धन्य हो जाता है। 


महाकाल पुजारी नरेश दीक्षित के अनुसार प्राचीनकाल मे राजा गंगा सिंह हुआ करते थे, जो शिव भक्त थे। एक बार वह महाकाल के दर्शन को गये हुये थे। वहां से वह शिवलिंग लेकर वापस घर आ रहे थे। इस औझान गांव में करीब 5 बीघा का एक शमशान था। शमशान के समीप पहुंचने पर उन्होंने शिवलिंग वहीं जमीन पर रख दी। जिसके बाद वह शिवलिंग दोबारा नहीं उठी। कई लोगो को बुलाकर उठाने का प्रयास किया गया लेकिन वह शिवलिंग कोई हिला तक नही सका| जिसके बाद भयभीत हुये राजा गंगा सिंह तत्काल वहां एक चबूतरा बनवाकर और प्राण प्रतिष्ठा कराकर चले गये। स्वप्न में आये भगवान शिव ने कहा मंदिर का निर्माण कराओ समय व्यतीत होता चला गया। शमशान होने की वजह से वहां किसी का आना जाना नहीं था। तो पूजा आराधना न होने से अनदेखी में वह शिवलिंग धीरे-धीरे मिट्टी में दब गया। 


इसके बाद कहिंजरी के बाबूलाल मिश्रा को भोलेनाथ ने स्वप्न दिया कि शमशान मे आकर वह उनका मंदिर निर्माण कराएं और पूजा पाठ करें। जिससे पूरे क्षेत्र का कल्याण होगा। किसी की अकाल मौत नहीं होगी। जो भक्त यहां मनोकामनाएं लेकर आयेगा, पूरी होंगी। तब से यह सिद्ध मंदिर से विख्यात हो गया। जगतगुरु शंकराचार्य ने बताया इसे सिद्धपीठ मंदिर के पुजारी का कहना है कि 50 वर्षों से वह निरंतर महाकाल की पूजा आराधना करते चले आ रहे है। जिस स्थान पर शिवलिंग विराजमान है, उसे गुरु स्थान कहा जाता है। जिसे हम अपने पूर्वजों से सुनते चले आ रहे है। एक समय यहां पर जगतगुरु शंकराचार्य सहित कई मठों के संत आये और उन्होंने शिवलिंग की अलौकिक शक्ति को देखकर इसे सिद्ध पीठ घोषित कर दिया था। तब से यहां भक्तों का सैलाब उमड़ता है। 


मंदिर के समीप बनी पंचकुटी व प्राचीन कुआं पर लोग कुछ समय व्यतीत करके जाते हैं। पूरे परिवार के साथ विराजमान है शिव इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां भोलेनाथ अपने पूरे परिवार के साथ मंदिर की शोभा बढ़ा रहे हैं। जिसमें गणेश, कार्तिकेय व ऋद्धि, सिद्धि सहित माता पार्वती भी विराजमान हैं। यहां पर सावन माह में श्रीमद भागवत कथा व प्रत्येक सोमवार को रुद्राभिषेक पूजा पाठ हवन आदि धार्मिक अनुष्ठान किये जाते हैं।
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