कानपुर। शहर का एतिहासिक इंटरनेशनल स्टेडियम इस समय दो वजहों से सुर्खियों में है। यहां भारत अपना 500 वां टेल्स खेल रहा है और आईपीएल मैच का दावेदार बन चुका है। वहीं अंग्रेजों के दिए गए नाम ग्रीन का बदलने के लिए जनकल्याण समिति के सदस्य सड़क पर उतर आए हैं। संस्था के अध्यक्ष सर्वेश पांडेय ने कहा कि हम 70 साल से ग्रीन को पितृपक्ष पर जल तर्पण करते आ रहे हैं। अब इसका नाम शहीद चंद्रशेथर आजाद रखा जाए। इसी कड़ी के तहत जन कल्याण समिति के अध्यक्ष सर्वेश कुमार के नेतृत्व में कई दर्जन लोग गुरुवार को बीसीसीआई के चेयरमैन अनुराग ठाकुर और यूपीसीए के अध्यक्ष राजीव शुक्ला से मिलकर ग्रीनपार्क का नाम बदलकर शहीद चंद्रशेखर आजाद रखने की मांग की, जिस पर बीसीसीआई के चेयरमैन अनुराग ठाकुर ने कहा कि ग्रीनपार्क स्टेडियम यूपी सरकार के आधीन आता है। यूपी सरकार चाहे तो वह नाम बदल सकती है कहा, हम व्यक्तिगत तौर पर यूपी सरकार से बात करेंगे।
तर्पण से चाहिए मुक्ति, पीएम को लिखा खत
संस्था के अध्यक्ष का कहना है कि ग्रीन का हम शहरवासी 70 साल से जल तर्पण करते आ रहे हैं। इससे हमें अब मुक्ति चाहिए। किसी ने हमारी इस पीड़ा पर ध्यान नहीं दिया। ग्रीन का सुनते आंख भर आती हैं, क्योंकि इसी महिला के पति ने हजारों क्रांतिकारियों को शहीद किया था। आजादी के छह दशक बाद अब चन्द्रशेखर आजाद जनकल्याण समिति ने इसका नाम शहीद चन्द्रशेखर आजाद करने का बीड़ा उठाया है। संस्था के अध्यक्ष सर्वेश कुमार पाण्डेय उर्फ निन्नी पाण्डेय ने बताया कि शहर में जितने भी संस्थानों के नाम अंग्रेजों के नाम पर है उनका भारतीयकरण करने की मांग पुरजोर तरीके से उठाई जाएगी। इन नामों से गुलामियत की बू आती है। उन्होंने बताया कि नामकरण के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है। जिसका शहर में जबरदस्त समर्थन मिल रहा है। हस्ताक्षर की प्रतियां प्रधानमंत्री व बीसीसीआई अध्यक्ष को भेजकर मांग की जाएगी कि ग्रीनपार्क का नाम बदलकर शहीद चन्द्रशेखर कर दिया जाये।
मैच के आखरी दिन अंतिम बार करेंगे तर्पण
सर्वेश पांडेय ने कहा कि पितृ पक्ष पर ग्रीनपार्क स्टेडियम में 500 टेस्ट मैच खेला जा रहा है। मैच पांच दिन बाद समाप्त हो जाएगा। उसी दिन संस्था गंगा तट पर जाकर ग्रीन को आखरी बार जल तर्पण करेंगे। इसके बाद शहर में एक बड़ी मुहिम चलाई जाएगी। अगर सीएम मैच के आखरी दिन कानपुर आते हैं तो उन्हें पत्र दिया जाएगा। इसमें सीएम से ग्रीनपार्क का नाम बदलने की मांग की जाएगी। अगले साल आने वाले पितृपक्ष पर ग्रीन का नाम बदल कर शहीद चंद्रशेखर आजाद पढ़े इसका प्रण लेकर सड़क से लेकर शासन तक मांग उठाई जाएगी।
घुड़सवारी का लुफ्त उठाने के लिए आती
शहर में 1940 में ये स्टेडियम केवल एक मैदान था। जहां एक बेहद ही खूबसूरत अंग्रेज महिला घुड़सवारी करने आया करती थी। इस मैदान के पास से ही गंगा नदी गुजरती है इसलिए उस समय लोग इस मैदान पर सैर के लिए भी आते थे और महिला की घुड़सवारी का आंनद उठाते थे। उस महिला का नाम ग्रीन था इसलिए इस स्टेडियम का नाम ग्रीनपार्क पड़ गया। ग्रीनपार्क स्टेडियम देश के प्राचीन स्टेडियम में से एक है। ग्रीनपार्क स्टेडियम को 1876 में अंग्रेजों ने बनवाया था। साल 1889 में अंग्रेज इस स्टेडियम का प्रयोग क्रिकेट के अलावा और भी बहुत सारे खेलों के लिए करते थे। साल 1952 में यहां पहला टेस्ट मैच भारत और इंग्लैंड के बीच खेला गया था। बड़ा मैदान होने के कारण इसे टेस्ट मैदानों में जगह मिली |