करौली। चाहे करौली के मतदाताओं ने भाजपा के
मुकाबले कांग्रेस को अधिक पार्षदों का बहुमत दिया हो, लेकिन जोड़तोड़ की राजनीति और
भाग्य के आगे कांग्रेस हार गई। शहर की सरकार के मुखिया की कुर्सी का फैसला शुक्रवार
को गोली से हुआ। कांग्रेस-भाजपा को बराबर मत मिलने के बाद पर्ची निकाली गई, जिसमें
भाजपा प्रत्याशी राजाराम गुर्जर का नाम निकलकर आया।
इस चुनाव में दिलचस्प बात यह
रही कि भाजपा नेताओं ने जोड़तोड़ कर अपने पार्षदों की संख्या 6 से 20 तक पहुंचा दी,
लेकिन कांग्रेस अपने 16 पार्षदों के बूते भी 21 संख्या बल तक नहीं पहुंच सकी। फिर
भाग्य ने भी कांग्रेस का साथ नहीं दिया। ऎसे में राजाराम नगरपरिषद सभापति निर्वाचित
होने में सफल रहे। सभापति के निर्वाचन के लिए सुबह 10 से 11 बजे के बीच नगरपरिषद
कार्यालय में कांग्रेस की ओर से वार्ड दो से विजयी प्रत्याशी पंकज सैनी और भाजपा से
वार्ड 25 से विजयी प्रत्याशी राजाराम गुर्जर ने सभापति पद के लिए नामांकन दाखिल
किए। दोनों प्रत्याशियों के मैदान में डटे रहने सेे ढाई बजे से मतदान शुरू हुआ।
पांच चरणों मे कांग्रेस-भाजपा के नेता अपने खेमे के पार्षदों को मतदान कराने के लिए
लेकर पहंुचे। निर्वाचन को लेकर उस समय सबकी धड़कनें बढ़ गईं, जब मतगणना में दोनों
प्रत्याशियों को 20-20 मत मिले। ऎसे में सभापति चुनाव को लेकर पशोपेश में पड़े
रिटर्निग अधिकारी डॉ. नरेन्द्र थोरी ने निर्वाचन विभाग से मार्गदर्शन लिया। इसके
बाद गोली डालकर सभापति की कुर्सी का फैसला किया गया। एक बच्चे के हाथों दोनों के
नामों की पर्चियों में से एक पर्ची निकलवाई गई, जिसमें राजाराम का नाम खुला।
रिटर्निग अधिकारी थोरी ने राजाराम गुर्जर को सभापति घोषित करने के साथ ही उन्हें पद
की शपथ दिलाई और प्रमाण-पत्र भी सौंपा।
ज्ञानेन्द्र के हाथों हुआ फैसला
करौली के सभापति की कुर्सी का फैसला मण्डरायल निवासी ज्ञानेन्द्र शर्मा के
हाथों हुआ। यहां रह कर पढ़ाई कर रहा ज्ञानेन्द्र कोचिंग जा रहा था। इसी दौरान
एसडीएम कार्यालय के रीडर पुष्पेन्द्र उसे मतगणना स्थल पर ले गए। इसके बाद दोनों
प्रत्याशियों के नाम की पर्ची डाली गई, जिसमें से ज्ञानेन्द्र ने एक पर्ची निकाली,
जिसमें राजाराम को सभापति की कुर्सी पर बिठा दिया। बाद में राजाराम की पत्नी
डॉ. सौम्या गुर्जर व भाजपा कार्यकर्ताओं ने ज्ञानेन्द्र को धन्यवाद दिया और भाजपा
नेता अजय सिंह ने इनाम भी दिया।