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खंडवा

कुपोषण से कुम्हलाई मलगांव की भारती, जूनापानी का विजय सूख कर हुआ कांटा

– 27.76 करोड़ रुपए तीन साल में पूरक पोषण आहार पर खर्च करने के बाद मिले हालात- विधानसभा में गूंजा कुपोषण का मामला तो एक बार फिर सुर्खियों में आया खंडवा- छह महीने में कुपोषण से हो चुकी हैं छह मौत

खंडवाDec 07, 2016 / 03:43 am

Editorial Khandwa

Malnutrition

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अमित जायसवाल. खंडवा. कुपोषण का दंश और खंडवा जिले का खालवा ब्लॉक। एक-दूसरे के पूरक बन चुके ये शब्द, सरकार के पूरक पोषण आहार के करोड़ों रुपए डकारने के बाद भी बदलाव को तैयार नहीं है। गुरुवार को विधानसभा में कुपोषण का मुद्दा गूंजा तो प्रदेश सहित देश और दुनिया में कुपोषण के लिए बदनामी झेल चुका खालवा सुर्खियों में आ गया।
कुपोषण पर काबू पाने का जो दावा सरकार ने विधानसभा में किया है, उसकी हकीकत जानने के लिए ‘पत्रिकाÓ टीम ने खालवा ब्लॉक में दस्तक दी। ग्राउंड रियलिटी चेक करने के उद्देश्य से पहुंचे तो हालात वैसे नहीं मिले जैसे विधानसभा में बताए गए हैं। कुपोषण का दंश यहां बचपन को लील रहा है और दीमक की तरह मासूमों के शरीर को खोखला कर रहा है। मलगांव की 8 माह की भारती कुपोषण से कुम्हलाई मिली तो जूनापानी के डेढ़ साल के विजय का शरीर भी कांटे की तरह सूखा हुआ मिला। एेसे ही सैकड़ों बच्चे हैं। इनमें से ही छह मौत कुपोषण से बीते छह महीने में हो चुकी है। ये हालात तब हैं जब खंडवा जिले में तीन साल में पूरक पोषण आहार पर 27.76 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं।
आप ही पढि़ए, इन दो बच्चों की दास्तां…
1. आठ महीने की भारती, वजन सिर्फ चार किलो
ये है भारती। उम्र है 8 माह। वजन होना चाहिए 6.500 किग्रा और अभी है सिर्फ 4.100 किग्रा। खिलने की उम्र ये बिटिया कुम्हलाई तो मां सुनीता का चेहरा भी पीला पड़ गया है। पिता पूनम हम्माली करते हैं। सुनीता कहती है कि बेटी जब पैदा हुई थी तब वजन ढाई किलो था लेकिन उम्र के हिसाब से वजन नहीं बढ़ा। सरकारी योजनाओं का लाभ मिला नहीं। अब
2. तीन बार रहा है भर्ती, अब भी हालत ठीक नहीं
ये है विजय। उम्र है करीब डेढ़ साल। 2 बार खालवा और 1 बार खंडवा के पोषण पुनर्वास केंद्र पर भर्ती रह चुका है। लेकिन सूख कर कांटा हो रहा है। दादी चम्पूबाई कहतीं हैं कि मां उर्मिला और पिता विश्राम काम की तलाश में इंदौर गए हैं। विजय मेरे पास ही रहता है। मुझे पोषण पुनर्वास केंद्र से मिलने वाला 14 दिन का भत्ता तक नहीं मिला है।
खंडवा के खालवा ब्लॉक में कुपोषण से छह माह में मौत
– समोती पिता सूरज, 2 वर्ष, जूनापानी (30 जुलाई)
– जयेश पिता शिवकरण, 16 माह, ढाकना (15 अगस्त)
– कृष्णा पिता समतीलाल, 2 वर्ष, जूनापानी (10 सितंबर)
– मोगिया पिता परसराम, 2 वर्ष, मिरीखेड़ा (11 सितंबर)
– अजय पिता प्रेम (16 सितंबर)
– एक अन्य
…क्योंकि इन स्तरों पर बरती जा रही लापरवाही
– आंगनवाड़ी केंद्रों पर थर्ड मील नहीं दिया जा रहा, न्यूट्री कॉर्नर की स्थापना नहीं हुई
– कुपोषण के खिलाफ जागरूकता के लिए तय रथ जमीनी स्तर पर गायब
– सुपोषण अभियान के स्नेह शिविर बने मजाक, आंगनवाडिय़ों में डे-केयर सेंटर नियमित नहीं

फिर भी जिले में सरकारी आंकड़ों में कम हो रहा कुपोषण
वर्ष अति कुपोषित बच्चे
2013-14 2530
2014-15 2350
2015-16 2201

खंडवा में कुपोषण की डरावनी तस्वीर…
08 साल में
37 मौत हुई है
2201 अतिकुपोषित बच्चे
08 पोषण पुनर्वास केंद्र में करते हैं भर्ती
4390 रुपए एक कुपोषित बच्चे पर किए जाते हैं खर्च
30 लाख रुपए छह माह में कुपोषितों के उपचार पर खर्च

– किए गए हैं प्रयास
कुपोषण मिटाने के लिए विभाग ने तीन साल में जो प्रयास किए गए हैं, उससे कुपोषित बच्चों की संख्या में कमी आई है। खंडवा जिले में बारिश के मौसम में वातावरण बदलने से मौसमी बीमारी से तात्कालिक रूप से बच्चों के पोषण स्तर में गिरावट आती है, बच्चों का स्वास्थ्य कमजोर पड़ता है, कमजोरी के कारण बच्चों की असामायिक मृत्यु होने की आशंका होती है।
अर्चना चिटनीस, मंत्री, महिला एवं बाल विकास विभाग
(विस में दिए उनके दिए जवाब के अनुसार)
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