शास्त्रीय संगीतज्ञ व म्यूजिक थैरेपिस्ट डॉ. आचार्य त्रिगुणातीत जैमिनी बता रहे हैं संगीत से कैसे साधें बच्चों के स्वास्थ्य का सुर-
शास्त्रीय संगीतज्ञ व म्यूजिक थैरेपिस्ट डॉ. आचार्य त्रिगुणातीत जैमिनी बता रहे हैं संगीत से कैसे साधें बच्चों के स्वास्थ्य का सुर-
शास्त्रीय संगीत कारगर
संगीत हमारे जीवन में कुछ इस कदर रच बस गया है, इसके बिना अब जीवन की कल्पना करना ही मुश्किल है। संगीत सिर्फ हमारे मनोरंजन का साधन मात्र नहीं है, बल्कि वह हमें हैल्दी रखने में भी काफी कारगर है। खासतौर से बच्चों को संगीत के सात सुरों के माध्यम से हैल्दी रखा जा सकता है। पिछले छह महीने से बच्चों पर संगीत के पडऩे वाले प्रभाव का अध्ययन करने के बाद यह पता चला कि बच्चों को स्वस्थ रखने में शास्त्रीय संगीत बेहद कारगर साबित हो सकता है।
सितार व पियानो बनाएं होशियार
संगीत के पंचम, गंधार, मध्यम स्वरों से बच्चों को रिझाते हुए उन्हें स्वस्थ रखा जा सकता है। शोध में हमने पाया कि जलतरंग, काष्ट तरंग, पाइप तरंग, सितार व पियानो सुनने से बच्चे स्वस्थ रहते हैं। ऐसा संगीत सुनने से मस्तिष्क कोशिकाओं पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और वे मजबूत होती हैं। बच्चों में बातचीत करने, पढऩे-लिखने व शरीर को चुस्त दुरुस्त रखने में मदद मिलती है।
6 से 8 साल के बच्चों को जलतरंग, काष्ट तरंग, पाइप तरंग, सितार व पियानो सुनाने से उन्हें स्वस्थ रखने में मदद मिलती है। यह बात कई शोधों में भी साबित हो चुकी है कि बच्चों को चुस्त-दुरुस्त रखने में शास्त्रीय और धीमा संगीत अहम भूमिका निभाता है।
सॉफ्ट म्यूजिक फायदेमंद
नवजात शिशुओं के लिए सॉफ्ट म्यूजिक सर्वोत्तम माना जाता है, इसलिए बच्चों को हमें क्लासिकल म्यूजिक सुनाना चाहिए। इसलिए शिशुओं को झुनझुना बेहद पसंद आता है। बच्चों के लिए ऐसे ही संगीत का चयन करना चाहिए, जिसके स्वर हल्के हों, क्योंकि बच्चों का मस्तिष्क संवेदनशील होता है और तेज संगीत का उन पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। सितार के सुर ही उनके लिए अनुकूल हैं।
घातक है तेज म्यूजिक
जो फिल्मी संगीत हम सुनते हैं, वह मासूमों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इससे बच्चों का बौद्धिक विकास भी प्रभावित होता है। बच्चों की तीन अवस्थाएं होती है। शिशु अवस्था, बाल अवस्था और किशोर अवस्था। हाई वोल्टेज संगीत खासतौर से नवजात बच्चों के लिए खतरनाक हो सकता है।
गर्भवती महिलाएं रखें ध्यान
हाई वोल्टेज संगीत सुनते समय गर्भवती महिलाओं को खासतौर से सतर्क रहने की जरूरत है। जो महिलाएं एमपी3, टीवी या रेडियो पर मनमौजी टाइप का तेज संगीत सुनती हैं, उनके बच्चों को मानसिक हानि होने की आशंका ज्यादा होती है। शोर वाला पॉप म्यूजिक भू्रण में जन्मजात विकृति पैदा करने वाला होता है। इसलिए शोर शराबे वाले संगीत की बजाय शास्त्रीय संगीत सितार या संतूर आदि सुनना ज्यादा लाभकारी है। शादी-पार्टियों में डीजे के शोर से भी गर्भवती महिलाओं को दूर रहना चाहिए, ऐसा संगीत गर्भ में पल रहे मासूम पर अत्याचार जैसा ही है।