जब बच्चे भी होने लगें तनाव के शिकार
अगर आप सोचते हैं कि बच्चों के जीवन में परेशानियां नहीं होतीं, तो इस खबर को पढ़ें
तनाव कभी बड़ों की परेशानी थी लेकिन अब बच्चों को भी यह परेशान करने लगा है। माता-पिता या उनके बीच के तनाव बच्चों को भी सताते हैं। परिवार के आर्थिक हालात, किसी नजदीकी व्यक्ति का निधन होना, परीक्षा का पेपर बिगडऩा, टीवी देखने से रोकना या दोस्त से अनबन होना उनमें तनाव की स्थिति बना देता है। अगर बच्चा चिंताग्रस्त दिखें तो मनोवैज्ञानिक या बुजुर्गों से परामर्श लें।
लक्षण : बात-बात पर गुस्सा होना
बच्चों के खाने-पीने की आदत बदल जाती है। बात-बात पर गुस्सा करना, चिल्लाना, भूख न लगना, सिर व पेट दर्द, बेड वेटिंग करने की समस्या रहना। इसके अलावा गहरी नींद न आना, हकलाना, सुबकना व दूसरों से मिलने से बचना जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं।
उपाय : दूसरों से न करें तुलना
– अभिभावक बच्चों को आश्वस्त करें कि वे सुरक्षित हैं।
– बच्चों को हिंसक व डरावने टीवी शोज न देखने दें न ही खुद देखें। दूसरे बच्चों से उनकी तुलना न करें।
– अकारण उनका विरोध न करें और न ही ज्यादा डांटे-डपटें। उनकी गलतियों को भूलें व उपलब्धि पर उन्हें प्रोत्साहित करें।
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