164 हॉस्पिटल, क्लीनिक और नर्सिंग होम का संचालन गैरकानूनी तरीके से
नर्सिंग एक्ट के तहत 251 अस्पताल, नर्सिंग होम,
क्लीनिक और पैथोलॉजी लैब ने आवेदन किया था। छानबीन के बाद 87 अस्पताल, नर्सिंग होम, क्लीनिक और पैथोलॉजी लैब एक्ट के
मानक पर खरे उतरे थे।
164 hospitals, clinics and nursing homes operating illegally
कोरबा. कुछ डॉक्टर कायदे कानून को ताक पर रखकर मरीजों का इलाज कर रहे हैं। उन्हें शासन-प्रशासन का डर नहीं है। शायद यही वजह है कि 164 हॉस्पिटल-नर्सिंग होम और क्लीनिक चलाने वाले डॉक्टरों ने प्रशासन से अनुमति लेना भी जरूरी नहीं समझा है।
20 अगस्त 2013 से जिले में नर्सिंग एक्ट लागू है। एक्ट में किए गए प्रावधान के अनुसार अस्पतालों का संचालन होना है। नर्सिंग एक्ट के तहत लाइसेंस लेने के लिए 251 अस्पताल, नर्सिंग होम, क्लीनिक और पैथोलॉजी लैब ने आवेदन किया था। जांच के लिए गठित समिति ने छानबीन के बाद 87 अस्पताल, नर्सिंग होम, क्लीनिक और पैथोलॉजी लैब एक्ट के मानक पर खरे उतरे थे। उनको जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर कलक्टर ने लाइसेंस जारी किया था जबकि 18 अस्पताल, नर्सिंग होम, क्लीनिक और पैथोलॉजी लैब को समिति ने एक्ट की मानकों पर खरा नहीं पाया।
उनके आवेदन को निरस्त कर दिया। शेष अस्पतालों को नोटिस देकर कमियों को दूर करने के लिए कहा। दो साल गुजर गए हैं लेकिन स्वास्थ्य सेवाएं देने वाली इन संस्थाओं ने कमियों को दूर नहीं किया। लाइसेंस लेना जरूरी नहीं समझा। आवेदन के आधार पर पता चला है कि जिले में 164 हॉस्पिटल, नर्सिंग होम, क्लीनिक और पैथोलॉजी लैब संचालन के लिए प्रशासन से अनुमति नहीं ली गई है।
नोटिस तक सिमटी विभाग की कार्रवाई
कमियां पाए जाने पर स्वास्थ्य विभाग ने 18 क्लीनिक, हॉस्टिपल, नर्सिंग होम और पैथोलॉजी लैब को नोटिस जारी किया था। इसमें कमियों को दूर करने के लिए कहा गया था। दो साल गुजर गए है, लेकिन विभाग ने डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई करना जरूरी नहीं समझा।
सरकारी डॉक्टरों के निजी हॉस्पिटल चालू
स्वास्थ्य विभाग ने सरकारी डॉक्टरों के निजी क्लीनक और नर्सिंग होम को भी लाइसेंस जारी नहीं किया है। इसमें ट्रांसपोर्ट नगर, बुधवारी बाजार और निहारिका स्थित कई अस्पताल शामिल हैं। इसके बावजूद ये डॉक्टर सरकारी अस्पताल में कम और निजी क्लीनिक या नर्सिंग होम में अधिक मरीजों का इलाज करते हैं। इन पर स्वास्थ्य विभाग मेहरबान है।
251 हॉस्पिटल, नर्सिंग होम और क्लीनिक ने लाइसेंस के लिए आवेदन जमा किया था। 87 को लाइसेंस जारी किया गया है। 18 का आवेदन निरस्त किया गया है। आयुर्वेदिक डॉक्टरों को लाइसेंस देने का प्रवधान एक्ट में नहीं किया गया है। एक्ट का पालन नहीं करने वाले संस्थानों को नोटिस देकर जवाब मांगा गया है।
डॉ. पीएस सिसोदिया
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, कोरबा
क्या कहता है नियम
स्त्री-पुरुष के लिए अलग अलग प्रसाधन
संक्रमण मरीजों के लिए अलग कमरा
अग्निशमक उपकरण
पुरुष-महिला के लिए अलग अलग वार्ड
बिस्तर के बगल में ऑक्सीजन सप्लाई सुविधा
बिस्तरों के बीच पर्दा विभाजन
प्रत्येक बिस्तर के बगल में सेक्शन मशीन
प्रशिक्षित नर्स और सहायक स्टॉफ
पानी और बिजली आपूर्ति की पर्याप्त व्यवस्था
नवजात शिशु की देखभाल के लिए क्षेत्र
सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में 24 घंटे होने चाहिए
गंभीर बीमारियों की सूचना स्वास्थ्य विभाग को 24 घंटे के भीतर दी जानी चाहिए।
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