32 उप स्वास्थ्य केन्द्रों में बिजली नहीं टार्च की रोशनी में करा रहे प्रसव
आमतौर पर इन प्राथमिक और सब सेंटरों में प्राथमिक इलाज किया जाता है। इन केन्द्रों में गर्भवती महिलाओंं की डिलेवरी भी कराई जाती है।
32 sub health centers are providing electricity delivery in the light of torch
कोरबा. आजादी के छह दशक बीतने के बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं का स्तर नहीं सुधर रहा है। प्राथमिक और उप स्वास्थ्य केन्द्रों में बिजली नहीं है। आलम यह है कि इन अस्पतालों में रात के समय प्रसव टार्च की रोशनी में कराना पड़ता है। जिले दो प्राथमिक और 32 उप स्वास्थ्य केन्द्रों में बिजली नहीं है। कोरबा विकासखंड के अधीन स्थित लेमरू प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र को वर्षों से बिजली का इंतजार है, जब से अस्पताल खुला केन्द्र में बिजली नहीं पहुंची। करतला विकासखंड अंतर्गत स्थित पताढ़ी के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का हाल भी लेमरू जैसा है।
यहां भी अस्पताल निर्माण के बाद बिजली नहीं आई है। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के अलावा कोरबा, कटघोरा, पाली, करतला और पोड़ी उपरोड़ा में 32 उप स्वास्थ्य केन्द्र हैं। इनकी स्थिति काफी खस्ताहाल है। यहां भी बरसों से बिजली नहीं है और ऐसे केन्द्रों में रात के वक्त मरीजों का इलाज कभी मोमबत्ती तो कभी टार्च की रोशनी में करने की मजबूरी है। आमतौर पर इन प्राथमिक और सब सेंटरों में प्राथमिक इलाज किया जाता है। इन केन्द्रों में गर्भवती महिलाओंं की डिलेवरी भी कराई जाती है। डॉक्टर और नर्स को सबसे अधिक परेशानी रात के समय डिलेवरी कराने में होती है,क्योंकि बिजली नहीं है।
इलाज के अभाव में मौत
सुविधाओं के अभाव में कई बार समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण इन केन्द्रोंं में जन्म लेने वाले शिशुओं की मौत भी होती है। पिछले साल बांकीमोंगरा के चटइनार में रहने वाली एक गर्भवती महिला के बच्चे की मौत हो गई थी। इसमें उप स्वास्थ्य केन्द्र के एएनएम की लापरवाही उजागर हुई थी।