दिल्ली सरकार की मंशा के तहत सभी कुछ सही रहा तो राजधानी में टीचर यूनिवर्सिटी शुरू हो सकती है। दरअसल, अध्यापकों को प्रशिक्षित करने के लिए दिल्ली सरकार टीचर यूनिवर्सिटी खोलने की योजना बना रही है।
दिल्ली सरकार की मंशा के तहत सभी कुछ सही रहा तो राजधानी में टीचर यूनिवर्सिटी शुरू हो सकती है। दरअसल, अध्यापकों को प्रशिक्षित करने के लिए दिल्ली सरकार टीचर यूनिवर्सिटी खोलने की योजना बना रही है।
सम्भवत: यह पहली बार होगा जब किसी राज्य में अध्यापकों को प्रशिक्षित किए जाने के लिए अलग से एक विश्वविद्यालय होगा।
सरकार का तर्क है कि इससे अध्यापकों को समय के हिसाब से ट्रेनिंग दी जा सकेगी कि वह बच्चों को नई तरह से कैसे शिक्षा दे सकते हैं।
टीचर यूनिवर्सिटी खोलने की बात दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसौदिया ने सदन में ‘द राइट ऑफ चिल्डर्न टू फ्री एंड कम्पलसरी एजुकेशन (दिल्ली अमेंडमेंट) बिल, 2015 पेश करते हुए कही।
सिसौदिया ने तर्क दिया कि डॉक्टर शरीर का एक अंग ही सही करते हैं या इंजीनियर पुर्जा जोड़ते हैं उनकी शिक्षा में पांच साल तक का समय लगता है लेकिन अध्यापक तो पूरा का पूरा इंसान तैयार करते हैं। हैरानी की बात है कि उनके प्रशिक्षण के लिए इतना कम समय। यह ठीक नहीं है।
सिसौदिया ने कहा कि अध्यापक अभी भी बच्चों को उसी पैटर्न पर पढ़ा रहे हैं जिस पैटर्न पर वे 10-20 साल पहले पढ़ रहे थे।
वहीँ, दिल्ली सरकार ने शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम की संबद्ध धाराओं में संशोधन कर आठवीं कक्षा तक छात्रों को अनुत्तीर्ण ना करने के प्रावधान (नो डिटेंशन पॉलिसी) को हटाने के लिए विधानसभा में एक विधेयक पेश किया। आप सरकार ने कहा कि इससे स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की राह में अवरोध पैदा हो रहा है।
पिछले हफ्ते भी सिसोदिया शिक्षा क्षेत्र में सुधार के लिए दो दूसरे विधेयक पेश कर चुके हैं। बाल निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार (दिल्ली संशोधन) विधेयक, 2015 पेश करते हुए उपमुख्यमंत्री सह शिक्षा मंत्री सिसोदिया ने छठी, सातवीं और आठवीं कक्षाओं में बच्चों के अनुत्तीर्ण होने के आंकड़ों की बात की। हालांकि आरटीई के उक्त प्रावधान के कारण उन्हें अनुत्तीर्ण नहीं किया जा सकता।