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Medical Board से मिले अनफिट सर्टिफिकेट को भी SECL ने कर दिया अमान्य!

locationकोरीयाPublished: Oct 20, 2016 02:17:00 pm

Submitted by:

Pranayraj rana

एसईसीएल प्रबंधन की मनमानी से लकवाग्रस्त श्रमिक दर-दर की ठोकर खाने का विवश, 72 प्रतिशत दिव्यांगता का दिया गया था प्रमाण-पत्र

unfit worker

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चरचा कॉलरी. एसईसीएल प्रबंधन की लापरवाही के कारण शारीरिक रूप से अक्षम, असहाय व दिव्यांग श्रमिकों की शारीरिक जांच के लिए क्षेत्रीय चिकित्सालय में आयोजित मेडिकल बोर्ड में जरूरतमंद श्रमिकों की जांच नहीं हो पा रही है। वहीं कॉलरी प्रबंधन ने जिला मेडिकल बोर्ड से जारी अनफिट प्रमाण-पत्र को अमान्य कर दिया है। इससे अनफिट कामगार दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर हैं।

एसईसीएल प्रबंधन की मानमानी व लापरवाही की कारण चरचा वेस्ट कालरी का आदिवासी श्रमिक दशरथ पिता घुरन के परिजनों को ड्यूटी एलाऊ नहीं किया जा रहा है। पीडि़त श्रमिक 6 जनवरी 2015 को ड्यूटी से घर आते समय लकवा ग्रसित हो गया था। जिसका काफी इलाज कराया गया।

बावजूद कोई फायदा नहीं मिला और श्रमिक दशरथ बिस्तर पर पड़े रहने पर मजबूर हो गया है। बीमारी के एक साल तक कालरी प्रबंधन ने सहायता राशि दी और एक साल बाद बंद कर दी गई। अब आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण श्रमिक भूखो मरने की स्थिति निर्मित हो गई है।

श्रमिक ने जिला मेडिकल बोर्ड से जारी 72 फीसदी विकलांगता प्रमाण पत्र दिया था। लेकिन कालरी ने मेडिकल प्रमाण पत्र को मान्य नहीं किया है। जबकि राज्य शासन के चिकित्सकों जारी सिक व अन्य मेडिकल सर्टिफिटकेट को मान्य कर ड्यूटी एलाउ कर दी जाती है।

प्रबंधक ने जारी किया कारण बताओ नोटिस
परिजनों ने जिला मेडिकल बोर्ड में जाकर श्रमिक दशरथ की शारीरिक जांच कराई। इसमें 72 प्रतिशत शारीरिक विकलांगता का प्रमाण पत्र दिया गया है। मेडिकल प्रमाण-पत्र को श्रमिक ने कालरी प्रबंधक के समक्ष प्रस्तुत किया। मामले में कालरी प्रबंधन ने ड्यूटी पर अनुपस्थित रहने का आरोप लगाते हुए कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया।

श्रमिक ने दोबारा पूर्व के आवेदनों के साथ चिकित्सालय से जारी दस्तावेजों को प्रस्तुत कर नौकरी नहीं कर पाने व शारीरिक अक्षमता की जानकारी दी। मामले में पुन: दोबारा कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया है।

प्रबंधन की कार्यशैली दुर्भाग्यपूर्ण
श्रमिकों के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए। प्रबंधन की कार्यशैली बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। मामले में उच्च अधिकारियों को अवगत कराकर मेडिकल कराने की मांग की जाएगी। एटक यूनियन पूर्णत: श्रमिक हित व सुविधाओं के लिये प्रतिबंद्ध है।
हरिद्वार सिंह, केन्द्रीय महासचिव एटक
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