प्रमोद मेवाड़ा
कोटा ।प्रदेश के
पॉलीटेक्निक कॉलेजों में अपात्र प्रवक्ताओं को करोड़ों रूपए बांटने का मामला सामने
आया है। इन प्रवक्ताओं को नियमों में नहीं होने के बावजूद तकनीकी शिक्षा विभाग के
अधिकारियों ने कॅरियर एडवांसमेंट स्कीम (सीएएस) के तहत पे-बेण्ड 4 का लाभ दे दिया
गया। इससे एक प्रवक्ता के वेतन में 30 से 40 हजार रूपए की वृद्धि हो गई।
ऑडिट के दौरान सेवा पुस्तिकाओं की जांच में मामला सामने आया। अब विभाग ने
वसूली के आदेश जारी किए हैं। मामले में कोटा पॉलीटेक्निक कॉलेज के ही सात
व्याख्याताओं से एक करोड़ 15 लाख रूपए की वसूली के आदेश जारी हुए हैं।
सूत्रों
के अनुसार ऑडिट नवम्बर 2014 में हुई, इसके बाद जयपुर रिपोर्ट भेजी गई, जहां से
निदेशक अंकेक्षण द्वारा विभाग को आदेश जारी किए गए।
तो 50 करोड़ की होगी वसूली
कोटा पॉलीटेक्निक कॉलेज के सात प्रवक्ताओं को जारी हुआ वसूली का आदेश तो एक
बानगी है। सूत्रों के अनुसार यदि सभी सेवा पुस्तिकाओं की जांच की जाए तो कोटा में
ही 30 प्रवक्ताओं को अनुचित लाभ दिया गया।
इसके अलावा पूरे प्रदेश के पॉलीटेक्निक कॉलेजों में करीब 300 प्रवक्ताओं
को अपात्र होने के बावजूद यह लाभ दिया गया। ऎसे में इन प्रवक्ताओं से वसूली की राशि
करीब 50 करोड़ रूपए होगी।
क्यों है अपात्र
पॉलीटेक्निक कॉलेजों में कार्यरत
प्रधानाचार्य, विभागाध्यक्ष व प्रवक्ताओं को 1.09.1996 से एआईसीटीई वेतनमान देने के
आदेश जारी हुए। 13 जनवरी 1999 को वित्त विभाग ने सेवा नियमों में संशोधन की शर्त पर
वेतनमान देने के निर्देश दे दिए। 8 जनवरी 2010 को एआईसीटीई नई दिल्ली द्वारा
पॉलीटेक्निक शिक्षकों के लिए वेतनमान एवं सेवा शर्तो के नियम जारी किए। इसमें
प्रवक्ताओं की न्यूनतम योग्यता एमटेक या एमई तथा प्रधानाचार्य, उपनिदेशक, संयुक्त
निदेशक, निदेशक के लिए पीएचडी रखी गई। सेवा शर्तो की इन योग्यताओं की जांच के बिना
ही 1 सितम्बर 2010 को छठा वेतनमान दे दिया गया।
यह सिर्फ नमूना जांच
आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि प्रवक्ताओं व विभागाध्यक्षों की सेवा
पुस्तिकाओं की जांच नहीं की जाकर नमूना जांच की गई है। अन्य व्याख्याताओं को भी इस
प्रकार से अनियमित रूप से सलेक्शन ग्रेड या पीबी 4 स्वीकृत हो सकते हैं। ऎसे में
सभी सीनियर स्केल, सलेक्शन ग्रेड, पी बी 4 की विशेष जांच, विशेष जांच दल के माध्यम
से करवाई जाए।
मामला आया तो था
इस संबंध में मामला आया तो था, जिसे
फाइनेन्स को भेजा गया था। इस बारे में अभी कुछ ज्यादा नहीं कह सकता।
एस.के.
सिंह, निदेशक, तकनीकी शिक्षा मंडल