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ऑफिस को बनाएं “रिस्कप्रूफ”

Published: May 11, 2015 10:18:00 am

ऑफिस के लोगों और इनकी वर्किग पर कई ऎसे खतरे हमेशा मंडराते रहते हैं, जो किसी भी
समय सारी वर्किग को ठप कर सकते हैं 

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ऑफिस के लोगों और इनकी वर्किग पर कई ऎसे खतरे हमेशा मंडराते रहते हैं, जो किसी भी समय सारी वर्किग को ठप कर सकते हैं। इन खतरों से निपटने के लिए आपको अपने ऑफिस और इसके लोगों के लिए रिस्क मैनेजमेंट के कुछ उपाय करके रखने होंगे। ये उपाय कंपनी को खराब स्थितियों में भी रिस्कप्रूफ रखते हैं और आपका काम सुचारू ढंग से लगातार चलता रहता है।

ऑफिस में सुचारू ढंग से चल रहे काम को देखकर आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते कि अगले एक घंटे में ही पूरे ऑफिस का कामकाज ठप्प पड़ सकता है। कामकाज में ये अवरोध प्राकृतिक भी हो सकते हैं और हमारे नियंत्रण वाले भी। इन स्थितियों को ध्यान में रखकर यदि एंटरप्रेन्योर्स रिस्क मैनेजमेंट की नीतियां अपनाते हुए चलते हैं तो वे अपने संभावित नुकसान को बहुत कम कर लेते हैं। आप भी अपने ऑफिस में मौजूद इन रिस्क फैक्टर्स को पहचानकर कर सकते हैं प्लानिंग।

पावर कट का रिस्क
वैसे तो एंटरप्रेन्योर्स अक्सर अपनी वर्किग यूनिट खोलते ही वहां हैं, जहां बिजली की आपूर्ति समुचित रूप से होती हो, लेकिन फिर भी बिजली के आकस्मिक संकट की आशंका से भी इंकार नहीं किया जा सकता। अचानक पावर कट हो जाने पर चल रही मशीनें रूक सकती हैं और कंप्यूटर्स पर चल रहा काम अचानक सिस्टम बंद हो जाने पर गायब भी हो सकता है। पावर कट के रिस्क से बचने के लिए जनरेटर्स और इन्वर्टर्स का इंतजाम पर्याप्त रखें। ताकि बिजली चली जाने की स्थिति में भी काम प्रभावित न हो।

फाइनेस का रिस्क
यह रिस्क ऎसा है, जो बिजनेस के सामने कभी भी आ सकता है और इसके संचालन को पंगु बना सकता है।यदि एंटरप्रेन्योर की पुरानी पेमेंट्स रूकी हों और उसके पास नया माल उठाने के लिए पर्याप्त धन न हो तो बिजनेस की पूरी चेन में स्थिरता आ जाती है। इससे निपटने के लिए कोई इमरजेंसी फंड जरूर बनाकर रखें।

सिस्टम्स में रिस्क
आजकल हर छोटा-बड़ा एंटरप्रेन्योर अपने बिजनेस रिकॉड्र्स से लेकर बिजनेस के पूरे कामकाज के लिए कंप्यूटर पर आश्रित हो गया है। ऎसे में किसी सिस्टम के क्रैश कर जाने या उसमें कोई बड़ा वायरस आ जाने पर आपकी स्टोर डिटेल्स नष्ट हो सकती हैं। सिस्टम में एंटीवायरेसेज तो डलवाएं ही, साथ ही महत्वपूर्ण रिकॉड्र्स ईमेल पर भी रखें।

बीमारी से रिस्क
मौसम बदलने के साथ ही संक्रामक रोग अपने पैर पसारने शुरू कर देते हैं और ऑफिस के एंप्लॉइज भी इनसे अछूते नहीं रह पाते। मौसमी संक्रमणों के शिकार एंप्लॉइज को ऑफिस में न बुलाने की नीति आदर्श है लेकिन यदि ऎसा करने पर काम में दिक्कत आती है तो इन एंप्लॉइज को बैठने व कामकाज की सुविधा किसी अलग स्थान पर देकर दूसरे एंप्लॉइज के संपर्क में आने से बचाएं। इसे आप अपनी पॉलिसी बना लें।

स्ट्राइक का रिस्क
अपनी बात मैनेजमेंट तक पूरी न पहुंचने के कारण भी एंप्लॉइज स्ट्राइक का रास्ता चुन लेते हैं। ऎसी स्थितियों से कंपनी की उत्पादकता को प्रभावित होने से बचाने के लिए अच्छा है कि आपके एंप्लॉइज के प्रतिनिधित्व की सरल पहुंच आपतक हो और दोनों पक्षों में पर्याप्त संवाद होता रहे। कंपनी के मालिक और एंप्लॉइज के बीच इस तरह के तालमेल बहुत सी खराब स्थितियों को आने से रोक सकते हैं। ऎसे में एंप्लॉइज कहीं ज्यादा लगन के साथ काम करते हैं।
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