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इतिहास दोहराने की तैयारी में ABVP, मुलायम के बाद अब अखिलेश को देगी झटका

locationलखनऊPublished: Nov 17, 2016 04:30:00 pm

Submitted by:

Dikshant Sharma

1994 में उठाया था ABVP ने ये कदम और पहुंचाई थी मुलायम को गहरी चोट

ABVP

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लखनऊ। चुनाव करीब है और राजनैतिक पार्टियां अपनी अपनी चलें चल रही है। भारतीय जनता पार्टी की ओर से अब डबल स्ट्रोक खेलने की तैयारी में है। जहां एक और भाजपा के बड़े नेता परिवर्तन यात्रा में व्यस्त हैं तो दूसरी हो अब युवाओं पर नए वोटरों को लुभाने की ज़िमेदारी दी जा रही है। भाजपा का छात्रसंघ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद नए मतदाताओं को पार्टी की ओर रुझाने की ज़िम्मेदारी उठाने जा रहा है। इसी के मद्देनज़र एबीवीपी आगामी 23 नवम्बर को लखनऊ के कॉल्विन ताल्लुकेदार्स कालेज के मैदान से पर बड़ी रैली आयोजित की है। इस ‘छात्र हुंकार रैली’ में 1 लाख से अधिक छात्र भाग ले सकते हैं। इस रैली का नारा ‘आप हमें समर्थन दें, हम आपको परिवर्तन देंगे’ होगा। नारे के मद्देनज़र इसे परिवर्तन यात्रा का पार्ट 2 कहा जा सकता है। परिषद के एजेंडा में चयन आयोग में धांधली के मुद्दे के साथ विश्विद्यालयों में छात्र संघ चुनाव करने के बात भी उठाई जाएगी।

हालाँकि इस रैली के लिए नवम्बर महीना चुना गया इसके पीछे भी एक सोची समझी रणनीति है। 26 नवम्बर को अखिलेश सरकार के 6 महीने ही शेष बचेंगे। इसके बाद केंद्रीय निर्वाचन आयोग कभी भी चुनाव की तारिख घोषित कर सकता है। अंतिम समय में युवाओ को लुभाना भाजपा का एजेंडा है।

भाजपा का यूथ विंग एबीवीपी भाजपा के हमेशा से अहम रहा है। अमित शाह, नितिन गडकरी, महेन्द्र नाथ पांडेय और सुनील बंसल जैसे संगठन के पदाधिकारी और बड़े नेताओं का राजनैतिक सफर एबीवीपी से ही शुरू हुआ है।

ABVP के राष्ट्रीय कार्यकाणी सदस्य घनश्याम साही का कहना है कि इस रैली का मकसद साफ़ है कि जब भी कोई राजनैतिक दल चुनाव में उतरे तो युवाओं और छात्रों के मुद्दों को भी अजेंडा में जगह दी जाए। साथ ही उन्होंने बताय कि एजेन्डे में 500 और 1000 नोट की बंदी पर समर्थन के लिए छात्रों हाथ उठाएंगे। जानकारों का कहना है कि इस रैली में एबीवीपी यह जताएगी कि इन नोटों को बंद करने की मांग उनका संगठन पहले ही कर चुका है।

आपको बतादें 1994 के बाद हो रही एबीवीपी की ये रैली पहली बार नहीं है। इससे पहले 1994 जब ये रैली हुई थी तब सरकार को मुँह की खानी पड़ी थी। तब सूबे में मुलायम सरकार थी और अब एक बार फिर अखिलेश की सरकार हैं। ऐसे में देखना होगा की भाजपा का ये छात्र संगठन विधानसभा चुनाव में भाजपा को कितना फ़ायदा पहुंचाता है।
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