scriptयूपी चुनाव से पहले नेताओं को लगा बड़ा झटका, इन पार्टियों के पास है इतना कैश! | Ban on Rs 500 and Rs 1000 notes create bigger problems for all political parties before UP Election 2017 | Patrika News

यूपी चुनाव से पहले नेताओं को लगा बड़ा झटका, इन पार्टियों के पास है इतना कैश!

locationलखनऊPublished: Nov 09, 2016 11:20:00 am

इस फैसले के बाद से राजनीतिक गलियारों में फैली सनसनी, चुनाव के लिए कहां से आएगा पैसा?

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लखनऊ. काले धन पर लगाम लगाने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने मंगलवार रात 500 और 1000 के नोटों को अमान्य करने की घोषणा कर दी। निश्चित ही पीएम के इस कदम से भ्रष्टाचार और काले धन पर अंकुश लगेगा साथ ही सरकार का ये फैसला चुनाव की बाट जो रहे उत्तर प्रदेश के लिए भी बड़ा झटका है। इस चुनावी लड़ाई में पैसे को पानी की तरह बहाने वाली पार्टियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। चुनाव अभियान की तैयारियों में लगे राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को 500 और 1000 रुपये के नोटों का एक ही झटके में अवैध बन जाने से बड़ा झटका लगा है।

कांग्रेस और बीजेपी का कैश
एक बेबसाइट के मुताबिक 2004 और 2015 के बीच लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस की ओर से जुटाए गए 2,259.04 करोड़ रुपए में से 68.33% नकद में था। इसी समय के दौरान बीजेपी की 1,983.37 करोड़ रकम का 44.69 फीसदी हिस्सा कैश में था।

राजनीतिक गलियारों में फैली सनसनी 
प्रधानमंत्री के इस फैसले के बाद से ही राजनीतिक गलियारों में सनसनी फैल गई है। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने में मात्र कुछ ही महीने बचे हैं। प्रदेश के विभिन्न राजनीतिक पार्टियों और उनके नेताओं द्वारा चुनाव में खर्च करने के लिए बड़ी मात्रा में धनराशि इकट्ठा करके गुप्त रूप से रखी गई है। अब इन नेताओं द्वारा जमा करके रखी गई इन बड़ी धनराशि को तय समय में बैंकों में जमा कराना होगा। जिसके लिए उन्हें बैंकों में अपना आईडी प्रुफ भी जमा कराना पड़ेगा। जमाकर्ता के पास गुप्त रूप से रखे गये रुपयों को बैंक में जमा कराना खतरे से कम नहीं है। कालेधन के रूप में जमा करके रखे गए इन रुपयों को जमा कराने के दौरान वह बैंकों और सरकार की नजरों में आ जाएगा। जिसके लिए उसे गिरफ्तार भी किया जा सकता है और अगर वह इन रुपयों को बैंक में नहीं बदलवाता है तो ये रुपये बेकार साबित हो जाएंगे, जो उसके लिए एक बड़ी समस्या है। 


चुनाव के लिए पैसा कहां से आएगा
यूपी चुनाव में महज कुछ महीने बचे हैं और तमाम राजनीतिक पार्टियां इसकी तैयारियों में जुटी हैं। लेकिन जिस तरह से 500 और 1000 के नोट पर प्रतिबंध लगा है उसने एक बड़ा सवाल यह खड़ा कर दिया है कि कैसे चुनाव में पैसे का इस्तेमाल किया जाएगा।

नेताओं की बढ़ी मुश्किल
यूपी में जो पैसा कुछ नेताओं ने वोट खरीदने के लिए अब तक जमा करके रखा था वो पूरी तरह से बेकार हो गया। चुनाव आयोग द्वारा आचार संहिता लगने के बाद पैसों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाना मुश्किल हो जाएगा। नेताओं द्वारा वोटरों को नोट के जरिए की जाने वाली खरीद फरोख्त भी नहीं की जा सकती है। ऐसे में 500-1000 के नोटों पर लगा प्रतिबंध नेताओं के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है। 

कैसे बंटेगे चुनावी तोहफे
चुनाव में राजनीतिक पार्टियां पैसों का इस्तेमाल पार्टी के कार्यकर्ताओं को उनके संसदीय क्षेत्र में लड़ने के लिए करती हैं, जिसके जरिए प्रचार गाड़ियों को सजाने, शहरभर में पार्टी का प्रचार करने, लोगों को लुभाने के लिए शराब, कपड़ा सहित तमाम चीजें बांटती है। लेकिन सरकार के इस फैसले के बाद एक बडी मुश्किल यह भी सामने आई है कि तमाम पार्टियां कैसे राजनीति की आड़ में इस फैसले का तोड़ निकालती हैं।

नंबर एक का पैसा बड़ी चुनौती
सरकार ने 2000 रुपए के नए नोट लाने का भी फैसला लिया है, ऐसे में राजनीतिक पार्टियों को इस नोट को हासिल करने के लिए बैंक का रुख अख्तियार करना पड़ेगा, जिसके लिए एक नंबर के पैसे का बैंक में होना बेहद जरूरी है।

बीजेपी को होगा बड़ा फायदा
जिस तरह से समाजवादी पार्टी पिछले कुछ दिनों से महागठबंधन की कोशिशों में जुटी थी और अखिलेश यादव को लोकप्रिय नेता के तौर पर देखा जा रहा है, ऐसे में पीएम मोदी के इस फैसले के बाद भारतीय जनता पार्टी को प्रदेश के चुनाव में इस फैसले का बड़ा फायदा मिल सकता है।
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