नोटबंदी से पहले समाजवादी पार्टी बसपा और भाजपा के निशाने पर थी लेकिन 8 नवम्बर के बाद सीन ऐसा बदला कि भाजपा विपक्षियों के निशाने पर आ गयी।
Rohit Singh
लखनऊ। केंद्र सरकार की ओर से 500 और 1000 रुपये की नोटबंदी से अखिलेश सरकार को भी फायदा हुआ है। 8 नवम्बर को नोटबंदी की घोषणा के बाद प्रदेश की जनता को पता नहीं डेंगू से राहत मिली है या नहीं लेकिन सरकार ने जरूर राहत की सांस की।
8 नवम्बर से पहले अखबारों की फ्रंट पेज की खबर और चैनलों पर छाया रहने वाला डेंगू अचानक सीन से कब बाहर हो गया, पता ही नहीं चला। अब न तो डेंगू से मौत की खबरें आ रही है और न ही मीडिया इन ख़बरों को तवज्जो दे रहा है। फिलहाल स्वास्थ्य विभाग भी डेंगू पर कार्यवाई के नाम पर चुप्पी साध कर बैठ गया है क्योंकि डेंगू अब पूरी तरह से सीन से बाहर हो गया।
नोटबंदी से पहले डेंगू को लेकर समाजवादी पार्टी बसपा और भाजपा के निशाने पर थी लेकिन 8 नवम्बर के बाद सीन ऐसा बदला कि भाजपा विपक्षियों के निशाने पर आ गयी। डेंगू सुर्ख़ियों से भले ही बाहर हो गया लेकिन इसका प्रकोप अभी कम नहीं पड़ा है। राजधानी के सिविल, लोहिया, बलरामपुर सहित तमाम अस्पतालों में बने डेंगू वार्ड में अब भी डेंगू से पीड़ित तमाम मरीज भर्ती हैं।
बता दें कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद स्वास्थ्य विभाग ने डेंगू से मौतों के लिए 23 सीएमओ सहित कई अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया था। जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने कोर्ट में कार्यवाई का ब्यौरा भी दिया था। जिसमें संयुक्त निदेशक मलेरिया डॉ. एमके गुप्ता को निलंबित कर दिया गया था। वही 8 सीएमओ पर अनुशासनात्मक कार्यवाई और 14 सीएमओ की चरित्र पंजिका में परिनिंदा दर्ज कर दी गयी थी। इस बारे में प्रमुख सचिव स्वास्थ्य अरुण कुमार सिन्हा का कहना है कि जांच अधिकारी नामित कर दिया गया है। जिसमें तमाम बिंदुओं पर जांच की जायेगी। जिसके बाद चार्जशीट दायर की जायेगी। जिसमें करीब 6 महीने का समय लग जाएगा।