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आखिर क्यों 14 सितंबर को मनाया जाता है हिंदी दिवस?, पढ़िए रोचक कहानी

locationलखनऊPublished: Sep 12, 2017 12:45:00 pm

Submitted by:

Ashish Pandey

Hindi Diwas पर विशेष- हिंदी चीख कर कह रही है कि संविधान में मुझे राजभाषा का दर्जा प्राप्त है फिर भी हमें लोग अपनी जुबान पर लाने में डरते हैं।

Hindi Diwas
Lucknow News. वैसे तो भारतवर्ष में 14 सितंबर को Hindi Diwas मनाया जाता है लेकिन क्या आप को पता है कि हिंदी दिवस क्यों मनाया जाता है? भारत की मातृभाषा होने के बाद भी बोल-चाल की भाषा में हिंदी का पतन होता जा रहा है। हिंदी चीख कर कह रही है कि संविधान में मुझे राजभाषा का दर्जा प्राप्त है फिर भी हमें लोग अपनी जुबान पर लाने में डरते हैं। चलिए हम आप को बताते हैं कि हिंदी दिवस क्यों मनाया जाता है।

वर्ष 1918 में महात्मा गांधी ने हिन्दी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने को कहा था। इसे गांधी जी ने जनमानस की भाषा भी कहा था। भारत देश में प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को National Hindi Diwas मनाया जाता है। 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने निर्णय लिया था कि हिन्दी ही भारत की राजभाषा होगी। इस महत्वपूर्ण निर्णय के महत्व को प्रतिपादित करने और हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर वर्ष 1953 से पूरे भारत में इस दिन हर साल हिन्दी-दिवस के रूप में मनाया जाता है।

भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय की धारा 343(1) में दर्शाया गया है कि संघ की राज भाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी। संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा। चूंकि यह निर्णय 14 सितंबर को लिया गया था। इस कारण Hindi Diwas के लिए इस दिन को श्रेष्ठ माना गया था। लेकिन जब राजभाषा के रूप में इसे चुना गया और लागू किया गया तो गैर-हिन्दी भाषी राज्य के लोग इसका विरोध करने लगे और अंग्रेजी को भी राजभाषा का दर्जा देना पड़ा।

वर्ष 1991 में इस देश में नव-उदारीकरण की आर्थिक नीतियां लागू की गई। इसका जबर्दस्त असर भाषा की पढ़ाई पर भी पड़ा। अंग्रेजी के अलावा किसी दूसरे भाषा की पढ़ाई समय की बर्बादी समझा जाने लगा। जब हिन्दीभाषी घरों में बच्चे हिन्दी बोलने से कतराने लगे, या अशुद्ध बोलने लगे तब कुछ विवेकी अभिभावकों के समुदाय को थोड़ा थोड़ा एहसास होने लगा कि घर-परिवार में नई पीढ़ियों की जुबान से भाषा के उजड़ने, मातृभाषा उजड़ने लगी है।
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