लखनऊ. आज धनतेरस के साथ दिवाली दस्तक दे चुकी है। दीपोत्सव की शुरूआत धनतेरस से मानी जाती है। इस दिन धन की देवी लक्ष्मी, प्रथम पूज्य गणेश जी, भगवान कुबेर और धनवन्तरि के पूजन का विधान है। धनतेरस स्वास्थ्य और समृद्धि का पर्व है जो हर साल कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है। आज के दिन को भगवान धन्वंतरि की जयंती के रूप में मनाया जाता है। और कुबेर की पूजा की जाती है। यम की पूजा का भी इस दिन विधान है। इस बार धनतेरस शुक्रवार को है। यह दिन मां लक्ष्मी का होता है। इसके साथ ही हस्त नक्षत्र और अमृत योग इसे और खास बना रहा है। इसलिए त्योहार सभी के लिए सुख, समृद्धि संपत्ति दायक होगा। धनतेरस पर बर्तन, गहने आदि खरीदना शुभ माना जाता है। यूं तो सूर्योदय के साथ ही कभी भी खरीदारी कर सकते हैं। धनतेरस के दिन धातु के बर्तन आदि की खरीदारी से लक्ष्मी प्रसन्न हो धन-धान्य से परिपूर्ण करती हैं।
आज के दिन होती है भगवान धन्वंतरि की पूजा
धनतेरस का पर्व आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि की जयंती के रूप में मनाया जाता है। समुद्र मंथन में जो रत्न प्राप्त हुए थे, उनमें प्रमुख स्थान भगवान धन्वंतरि का है। संपूर्ण वैद्य समाज इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हैं। आज के दिन सोना, चांदी, पीतल या अन्य किसी धातु का सामान खरीदना चाहिए। रात में धातु निर्मित गणेश, लक्ष्मी व कुबेर के पूजन का विशेष महत्व है। इस बार धनतेरस अपने आप में अद्भुत फल देने वाला होगा। धनतेरस को हस्त नक्षत्र और अमृत योग का साथ होगा। इस दिन लक्ष्मी-गणेश का पूजन महालाभकारी होगा। ऐसा योग कई दशकों के बाद आ रहा है। इस बार पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 6.39 से रात्रि 8.35 बजे तक है।
135 सालों के बाद महासंयोग
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, 135 सालों के बाद इस साल धनतेरस का त्योहार अत्यंत शुभ योग के साथ आया है। ऐसे शुभ अवसर पर मां लक्ष्मी की वैदिक पूजा अतुलनीय फल की प्राप्ति देने वाली हो सकती है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन मां लक्ष्मी का विधिवत आह्वान कर भक्त मां का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं तथा उनके शुभ संयोग पूरे वर्ष अपने घर में प्राप्त कर सकते हैं।
इस समय करें पूजा
इस साल धनतेरस की तिथि भले ही गुरुवार से लग रही हो, लेकिन पर्व शुक्रवार को ही मनाया जाएगा। पंडितों के अनुसार, इस बार कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी 27 अक्टूबर शाम 5.12 से 28 अक्टूबर की शाम 6.17 बजे तक रहेगी। 28 को उदयकाल में त्रयोदशी मिलने व सायंकाल में त्रयोदशी की उपलब्धता के कारण धनतेरस का पर्व शुक्रवार को ही मनाया जाएगा। पूजन के लिए गोधूलि बेला व वृष लग्न शुभकाल हैं। ऐसे में 28 अक्टूबर को गोधूलि बेला शाम 5.45 बजे शुरू हो रही है। वृष लग्न का योग होने से रात 8.30 बजे तक पूजन का शुभ मुहूर्त है। धनतेरस को शुभ और लाभप्रद बनाने के लिए शुभ मुहूर्त में खरीददारी करना जानना जरूरी है। धनतेरस पर नई चीजें खरीदना काफी शुभ माना जाता है। इस दिन सोना और चांदी खरीदना भी बहुत शुभ माना जाता है। यहां तक कुछ जगहों पर मान्यता है कि धनतेरस पर खरीदी गई किसी भी वस्तु में तेरह गुनी वृद्धि होती है। हर कोई व्यक्ति चाहता है कि मां लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की कृपा हमेशा उन पर बनी रहे।