महेंद्र प्रताप सिंह
लखनऊ. समाजवादी पार्टी में अभी बड़ा धमाका होना बाकी है। अखिलेश ने अपने चिर प्रतिद्वंदी अपने ही चाचा शिवपाल यादव को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर जता दिया है कि वे अब पीछे हटने को तैयार नहीं है। उधर, पार्टी महासचिव राम गोपाल यादव को पार्टी से छह साल के लिए निकाल पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह ने संदेश देने की कोशिश की है कि पार्टी में अनुशासन सर्वोपरि है। सोमवार को मुलायम सिंह यादव ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक बुलायी है। माना जा रहा है इसमें पार्टी की एकता को बनाए रखने के लिए अखिलेश यादव की जगह मुलायम को विधायक दल का नेता चुना जाएगा। अखिलेश के खिलाफ पार्टी कोई कड़ा निर्णय लेने की स्थिति में नहीं है। क्योंकि ऐसा करने पर यूथ विंग बगावत कर सकती है। अखिलेश के समर्थक विधायकों की भी तादात अच्छी है। ऐसे में सर्वस मति से यह फैसला हो सकता है कि अखिलेश प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी संभालें और अपने हिसाब से टिकट का बंटवारा करें। अखिलेश की एक मांग और है कि अमर सिंह को पार्टी से हटाया जाए। माना जा रहा है अखिलेश अमर सिंह को पार्टी से हटाने का कठोर निर्णय ले सकते हैं। शिवपाल को मुलायम सिंह अपने मंत्रिमंडल में वापस लेकर उन्हें संतुष्ट कर सकते हैं।
अखिलेश हो सकते हैं बाहर
यदि अखिलेश के खिलाफ कोई बड़ा निर्णय लिया जाता है तो पार्टी टूट जाएगी। अखिलेश भी इस फैसले के लिए तैयार बैठे हैं। तब उनके साथ रामगोपाल यादव होंगे। जाहिर है मुलायम कुनबे की यूथ विंग अखिलेश के साथ होगी और शिवपाल बापबेटे के साथ मुलायम के साथ खड़े होंगे।
फायदे में अखिलेश, नुकसान में शिव
रविवार को जिस तरह से सीएम अखिलेश की बैठक में 200 से ज्यादा विधायक और एमएलसी पहुंंचे उससे यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि अभी पार्टी में अखिलेश की स्थिति काफी मजबूत है। सरकार से बर्खास्त किए जाने के बाद उनके आवास पर सिर्फ बर्खास्त मंत्री ही देखे गए। राजा भैया ऊर्फ रघुराज प्रताप सिंह को शिवपाल और मुलायम समर्थक माना जाता है। वे सीएम की बैठक में तो मौजूद नहीं थे लेकिन वे बाद में अखिलेश से मिलने उनके आवास पर गए।