क्या अपने भाई की राह पर चलेंगी रीता बहुगुणा जोशी ?
लखनऊPublished: Oct 17, 2016 12:47:00 pm
इन वजहों के चलते मिल रहे हैं ये इशारे
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस अपना 27 साल का वनवास खत्म करने कोशिशों में लगी कांग्रेस को करारा झटका लग सकता है। काफी समय से कयास लगाए जा रहे हैं कि उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की बहन रीता बहुगुणा जोशी भाजपा का दामन थाम सकती हैं। विजय बहुगुणा भी मई 2016 में भाजपा में शामिल हो चुके हैं।
क्या है इन कयासों की असली वजह
जो खबरें आरही है उसके मुताबिक रीता बहुगुणा चुनाव से ठीक पहले पाला बदलने की कोशिश की दो बड़ी वजह सामने राही हैं। पहली, उनको यह भरोसा नहीं हो पा रहा है कि कांग्रेस विधानसभा चुनाव तक इस स्थिति में पहुंच ही जाएगी, जिसके सहारे चुनाव जीता जा सके। रीता के लिए चुनाव इस बार इसलिए भी कठिन माना जा रहा है क्योंकि उनकी मौजूदा विधानसभा सीट कैंट से सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह की छोटी बहू अपर्णा यादव भी चुनावी मैदान में बैटिंग करने जा रही हैं। रीता के मुकाबले अपर्णा क्षेत्र में ज़्यादा एक्टिव हैं।
दूसरी बात यह भी है कि वह जिस सियासी परिवार से ताल्लुक रखती हैं, उसको लेकर कांग्रेस आलाकमान के बीच विश्वास का संकट पैदा हुआ है। दरअसल ये विशवास रीता के परिवार से जुड़े एक राजनीतिक घटनाक्रम के बाद हुआ है। ये रीता के भाई विजय बहुगुणा से जुड़ा है। बीते कुछ समय पहले उत्तराखण्ड में आय सियासी हलचल के बीच कांग्रेस आलाकमान उनका उपयोग वहां की स्थितियों को अपने पक्ष में करने के लिए चाह रहा था, लेकिन उन्होंने पार्टी की कोई भी मदद नहीं की। इससे आलाकामन नाराज़ है।
भाजपा सूत्रों का दावा तो ये भी कि रीता बहुगुणा अपने बेटे मयंक जोशी को कांग्रेस में तवज्जो न मिलने से भी नाराज़ है।
बहरहाल इससे पहले भी रीता के राजनैतिक पलायन की खबरें उठी थी जिसपर उन्होंने ट्वीट कर खुद ही विराम लगाया था। दिल्ली में कांग्रेस की बैठक है। जानकार मानते है इसके बाद इस कयास का सटीक परिणाम मिल सकेगा। वैसे, राजनीती में बहुत कुछ इशारों से समझ जाता है।
भाजपा का भी कुछ ऐसा है सीक्रेट प्लान
सूत्रों के मुताबिक बीजेपी ने दूसरे दलों के उन बड़े नेताओं की एक लिस्ट तैयार की है, जो किन्हीं वजहों से अपनी पार्टी में असंतुष्ट चल रहे हैं। उनसे बातचीत का सिलसिला भी शुरू हो चुका है। बीतेदिनों बसपा खेमे से कई बड़े चेहरों को भाजपा में एंट्री भी इसी प्लान के चलते मिली है। इसके पीछे भाजपा की मंशा साफ़ है ,विरोधी पार्टियों के मनोबल को गिराना।