लखनऊ, केन्द्र सरकार द्वारा अपनी मांगों की उपेक्षा से नाराज देश भर के ग्रामीण बैंक कर्मचारी सपरिवार 2 अक्टूबर को जिला मुख्यालयों पर स्थित गांधी प्रतिमा के समक्ष एक दिन का उपवास रखेंगे तथा जिलाधिकारियों के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजेंगे। स्थानीय ग्रामीण बैंक आफ आर्यावर्त के कर्मचारी भी सपरिवार जी0पी0ओ0 लखनऊ स्थित गांधी प्रतिमा के समक्ष प्रातरू 10 बजे एकत्रित होकर उपवास रखेंगे। कार्यक्रम का आयोजन यूनाइटेड फोरम आफ आर0आर0बी0 यूनियन्स के आवाहन पर किया जायेगा। यह जानकारी ग्रामीण बैंक आफ आर्यावर्त अधिकारी एसोसियेशन के अध्यक्ष राकेश कुमार शुक्ल एवं उपमहामंत्री आनन्द कुमार ने दी। दोनों नेताओं ने बताया कि पेन्शन, संशोधित ग्रेच्युटी, प्रवर्तक बैंक के समान सेवा शर्ते एवं अनुकम्पा नियुक्तियों जैसी प्रमुख मांगों को लेकर देश भर के ग्रामीण बैंक कर्मचारी दशकों से संघर्षरत हैं। परन्तु सरकार की हठवादिता के चलते कार्मिकों की जायज मांगें अभी तक पूरी नहीं हुई हैं।
दोनों नेताओं ने बताया कि 2 अक्टूबर 1975 को एक अध्यादेश के द्वारा देश में ग्रामीण बैंकों की स्थापना की गयी थी, जिनका उद्देश्य बैंकिंग सुविधाओं से वंचित ग्रामीण जनता को सस्ती व सुगम बैंकिंग सेवायें उपलब्ध कराना था। श्रमिक नेताओं ने बताया कि ग्रामीण बैंकों ने अपनी स्थापना की उद्देश्यों की शत-प्रतिशत पूर्ति की है परन्तु सरकार संस्था के कर्मचारियों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है।उन्होने बताया कि अपनी मांगों के समर्थन में अब तक तकरीबन सैकड़ों हड़तालें, धरना- प्रदर्शन आदि किये गये। यहां तक कि माननीय उच्च न्यायालयों द्वारा भी कर्मचारियों के पक्ष में निर्णय किये गये, परन्तु सरकार हठवादी रुख अपनाये है। चूंकि ग्रामीण बैंकों की स्थापना राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयन्ती 2 अक्टूबर, 1975 को ही हुई थी अतरू उनकी स्मृति को चिर स्थायी बनाये रखने एवं उनके द्वारा बताये गये रास्ते का अनुसरण करते हुये उपवास कार्यक्रम के माध्यम से अपनी मांगों के समर्थन में केन्द्र सरकार का ध्यानाकर्षण कराया जायेगा। इस कार्यक्रम में 625 जिलों के मुख्यालयों पर सेवारत एवं सेवानिवृत्त कर्मचारी एवं उनके परिवारी जन हिस्सा लेंगे।