Shardiya Navratri 2017 : नवरात्रि का अर्थ होता है, नौ रातें। एक शरद माह की नवरात्रि और दूसरी बसंत माह की नवरात्रि।
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लखनऊ . हिन्दू धर्म में Shardiya Navratri पूरे देश में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान महिलाएं कलश यात्रा व Kalash Sthapana करती हैं। साथ ही मां दुर्गा की आराधना भी करती हैं। पिछले साल की तरह इस साल भी मां दुर्गा की भक्ति में लोग डूबे रहेंगे इसके लिए दुर्गा जी के पंडाल को भव्य सजाया जा रहा है।
Shardiya Navratri 2017 का पर्व हिन्दू धर्म में साल में दो बार आता है। नवरात्रि का अर्थ होता है, नौ रातें। एक शरद माह की नवरात्रि और दूसरी बसंत माह की नवरात्रि। इस पर्व के दौरान तीन प्रमुख हिंदू देवियों- पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती के नौ स्वरुपों श्री शैलपुत्री, श्री ब्रह्मचारिणी, श्री चंद्रघंटा, श्री कुष्मांडा, श्री स्कंदमाता, श्री कात्यायनी, श्री कालरात्रि, श्री महागौरी, श्री सिद्धिदात्री का पूजन विधि विधान से किया जाता है जिन्हे नवदुर्गा कहते हैं।
यह है घट स्थापना का समय (Kalash Sthapna Time and Muhurat) शारदीय नवरात्रि का पहला दिन इस बार 21 सितम्बर 2017 को पड़ रहा है। इस दिन कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 06:17 बजे से 07:29 बजे तक है। -समयांतराल- 1 घंटा 11 मिनट। -घट स्थापना मुहूर्त प्रतिपदा पर पड़ रहा है। -घट स्थापनामुहूर्त स्वाभाव कन्या लग्न पर पड़ रहा है। -प्रतिपदा तिथि 21 सितम्बर 2017 को 05:41 बजे शुरू होगी। -प्रतिपदा तिथि 22 सितम्बर 2017 को 07:45 बजे समाप्त होगी।
यह है कलश स्थापना के लिए सामान (Kalash Sthapna Samagri) शारदीय नवरात्रि के लिए मिट्टी का पात्र और जौ, शुद्ध, साफ मिट्टी, शुद्ध जल से भरा हुआ सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का कलश, मोली (कलवा), साबुत सुपारी, कलश में रखने के लिए सिक्के, फूल और माला, अशोक या आम के 5 पत्ते, कलश को ढकने के लिए मिट्टी का ढक्कन, साबुत चावल, एक पानी वाला नारियल, लाल कपड़ा या चुनरी की आवस्यकता होती है।
ऐसे करें कलश स्थापना (Ghatsthapna and Puja Vidhi) -नवरात्रि में कलश स्थापना करने के दौरान सबसे पहले पूजा स्थल को शुद्ध कर लें। -लकड़ी की चौकी रखकर उसपर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं। -कपड़े पर थोड़े-थोड़े चावल रखें। -चावल रखते हुए सबसे पहले गणेश जी का स्मरण करें। -एक मिट्टी के पात्र में जौ बोयें। -इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें। -कलश पर रोली से स्वस्तिक या ‘ऊँ’ बनायें। -कलश के मुख पर कलवा बांधकर इसमें सुपारी, सिक्का डालकर आम या अशोक के पत्ते रखें। -कलश के मुख को चावल से भरी कटोरी से ढक दें। -एक नारियल पर चुनरी लपेटकर इसे कलवे से बांधें और चावल की कटोरी पर रख दें। -सभी देवताओं का आवाहन करें और धूप दीप जलाकर कलश की पूजा करें। -भोग लगाकर मां की आरती और चालीसा का पाठ करें।