बसपा और सपा काल में हुआ समायोजन का खेल अब योगी के रडार पर
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लखनऊ। सपा
और बसपा शासनकाल में हुए समायोजन के नाम पर खेल को अब योगी सरकार ने अपने रडार पर ले लिया है। इसपर निगाहें
टेढ़ी करते हुए लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा किए गए 2009 के बाद सभी समायोजन
की लिस्ट तलब की गयी है। एलडीए उपाध्यक्ष पी एन
सिंह को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गयी है। पी एन सिंह ने बताया कि
18 जुलाई तक इस संबंध में अपर सचिव से रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। क्या है मामला दरअसल बीते 8 सालों में समायोजन के नाम पर हाथ मेले करने वाले एलडीए के आला अफसरों और कर्मचारियों को बेनकाब करने के लिए यह
रिपोर्ट मांगी जा रही है। आदेशों में जनवरी 2009 से अब तक योजनावार खोली गई
डुप्लिकेट पत्रावलियों व मूल आवंटित संपत्तियों के स्थान पर समायोजित की
गई संपत्तियों की सूची मांगी है। बता दें कि पिछले कुछ सालों में एलडीए की
गोमती नगर विस्तार योजना में दर्जनों भूखंड प्रॉपर्टी डीलरों और बाबुओं की
सांठगांठ से अफसरों ने दूसरी योजनाओं में समायोजित कर दी। समायोजन के इस
खेल में एलडीए के कई बड़े अफसर अरबपति बना गए तो मास्टरमाइंड
कहे जाने वाले बाबुओं ने भी करोड़ दबा लिया।
जानकारों में ऐसी भी चर्चा है
कि मायावती सरकार के कार्यकाल में तत्कालीन उपाध्यक्ष मुकेश विश्राम के
बाद से समायोजन के खेल को शुरू हुआ। यह भी बताया जा रहा है कि एलडीए
में तैनात एक पालिका सेवा के अधिकारी ने शासन तक पहुंचकर इस्तेमाल करते हुए
दर्जनों भूखंडों का समायोजन करवाया। समयोजन के खेल में खूब हुआ फ़र्ज़ी हस्ताक्षर समायोजन
के इस खेल में एलडीए वीसी से लेकर सचिव के फर्जी हस्ताक्षर भी हुए हैं।
यही नहीं कई भूखंडों की फर्जी रजिस्ट्री तक हो चुकी है। कुछ मामले हाई
कोर्ट में
भी पहुंच चुके हैं। बताया जा रहा है कि ऐसे लगभग 4 हज़ार मामले हैं।
अरबों
रुपए के घोटाले की जांच फिलहाल सही दिशा में जा
रही है और यही कारण है कि जिम्मेदार अधिकारी अब भाजपा नेताओं एक साथ साथ
शासन
में अपनी सेटिंग लगाने में जुट गए हैं। अगर मान लिया जाए की जांच निप्काश
होती है तो तत्कालीन उपाध्यक्ष मुकेश मेश्राम, राजीव अग्रवाल, रजनीश दुबे,
एमपी अग्रवाल,
भुवनेश कुमार, एपी तिवारी, सत्येंद्र सिंह, अनूप यादव भी जांच के दायरे में
होंगे। उनके कार्यकाल में तैनात सचिव पर भी जांच की तलवार लटकी हुई है।
इसके साथ साथ कई आला नेताओं और शासन स्तर पर तैनात अधिकारियों पर भी गाज
गिरेगी।
समायोजन के नाम पर प्रभावशाली और
सत्ता के करीब लोगों ने भरपूर फायदा उठाया। अधिकारियों ने भी इसकी
आड़ में मोटी मलाई कमाई। वहीं दूसरी ओर मूल आवंटी कई सालों से भटक रहे हैं। आवंटियों
को कार्रवाई के नाम पर आश्वासन
दिए जा रहे हैं। इसमें मुख्य रूप से गोमती नगर विस्तार, प्रियदर्शिनी योजना,
शारदा नगर योजना, कानपुर रोड, मानसरोवर योजना सहित कई योजनाएं शामिल हैं।