अखिलेश चुनावों में मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं होंगे तो सबसे पहले पार्टी महासचिव राम गोपाल यादव ने समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव को पत्र लिखकर अपना निर्णय बदलने का अनुरोध किया। इसके बाद मुलायम के करीबी किरणमय नंदा ने सोमवार को प्रेस को जानकारी दी कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ही पार्टी के मुख्यमंत्री उम्मीदवार होंगे।
लखनऊ. उत्तर प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इस समय अग्नि परीक्षा के दौर से गुजर रहे हैं। उनके लिए यह सुखद बात है कि समाजवादी परिवार में उत्तराधिकार की जंग में तमाम नेताओं की सहानुभूति उनके साथ है। सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने जब यह घोषणा की थी कि अखिलेश चुनावों में मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं होंगे तो सबसे पहले पार्टी महासचिव राम गोपाल यादव ने समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव को पत्र लिखकर अपना निर्णय बदलने का अनुरोध किया। इसके बाद मुलायम के करीबी किरणमय नंदा ने सोमवार को प्रेस को जानकारी दी कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ही पार्टी के मुख्यमंत्री उम्मीदवार होंगे। अखिलेश सरकार के कद्दावर मंत्री और समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान ने भी अखिलेश यादव को सबसे बेहतर मुख्यमंत्री बताया। इस तरह से पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के अखिलेश के साथ आने से उनकी स्थिति मजबूत हुई। बात आगे बढ़ती है तो अमर सिंह का विरोधी खेमा जिसमें नरेश अग्रवाल, बेनी प्रसाद वर्मा और अरविंद सिहं गोप जैसे कद्दावर नेता शामिल हैं ये सब के सब अखिलेश के साथ आ सकते हैं।
सपा की क्यों मजबूरी हैं अखिलेश
मुलायम सिंह यादव ने हाल के दिनों में अखिलेश को लेकर कई बयान दिए। लेकिन इस बार तीन दिन के अंदर ही पार्टी को अपना रूख बदलना पड़ा। पार्टी को कहना पड़ा कि अखिलेश ही मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे। सवाल है आखिर इस बार मुलायम को क्यों अपना निर्णय बदलना पड़ा?
सीधा सा जवाब है अखिलेश सपा की मजबूरी हैं। क्योंकि उन पर कोई दाग धब्बा नहीं है। अखिलेश के लिए नेताओं की सहानुभूति भी है। मुलायम के बयान का फीडबैक भी अच्छा नहीं गया। रामगोपाल ने मुलायम सिंह यादव को पत्र लिखकर एक तरह से जनता को संदेश देने की ही कोशिश की। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अखिलेश ने बार-बार की धमकियों से आजिज आकर अब अपनी रणनीतियां बदली हैं। अब वह सरेंडर करने को तैयार नहीं हैं। उनका संदेश कि वे अपना अलग रास्ता चुन सकते हैं। इससे भी मुलायम डर गए।
अखिलेश के 5 कदम दिखलाते हैं दृढ़ता–
- दशहरे के ठीक एक दिन पहले अखिलेश यादव ने राहुल गांधी के सर्जिकल स्ट्राइक पर दिए बयान का बचाव किया। यह राहुल गांधी से गठजोड़ का संकेत है।
- अखिलेश ने अकेले चुनाव प्रचार शुरू करने का बयान देकर यह संदेश दिया कि वे पीछे मुडऩे को तैयार नहीं हैं।
- पिता के बढ़ते वर्चस्व के मद्देनजर अखिलेश अपने पिता के घर से निकलकर अलग आ गए। जबकि दोनों के घर पास-पास हैं।
- शिवपाल यादव से लोक निर्माण विभाग वापस लिया। दीपक सिंघल को चीफ सेक्रेट्री के पद से हटाकर दिखाई ताकत।
- रामगोपाल यादव, मुलायम के करीबी किरणमय नंदा और आजम खान को अपने पाले में कर दिया बड़ा राजनीतिक संदेश।