वल्र्ड डायबिटीज डे आज : नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के सामुदायिक चिकित्सा विभाग का सर्वे, कभी राजरोग कही जाने वाली इस बीमारी ने अब प्राय: हर वर्ग को अपनी चपेट में ले लिया है। गांवों के मेहनतकश लोग भी इसके शिकंजे में फंस रहे हैं।
जबलपुर। जिले की आधी से ज्यादा आबादी पर डायबिटीज का खतरा मंडरा रहा है। नेताजी सुभाषचंद बोस मेडिकल कॉलेज के सामुदायिक चिकित्सा विभाग द्वारा किए गए सर्वे में यह तथ्य सामने आए हैं। कभी राजरोग कही जाने वाली इस बीमारी ने अब प्राय: हर वर्ग को अपनी चपेट में ले लिया है। गांवों के मेहनतकश लोग भी इसके शिकंजे में फंस रहे हैं।
पीएसएम विभाग में पदस्थ एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. नीलम टोप्पो ने जिले के अधिकतर क्षेत्रों के 406 एेसे लोगों पर रिसर्च किया है, जिन्हें पहले कभी इसका अहसास नहीं था कि वे डायबिटीज की चपेट में हैं या खतरा है। रिसर्च में 205 पुरुषों और 201 महिलाओं को शामिल किया गया। इनमें डायबिटीज का खतरा लगभग बराबर पाया गया है। शोधकर्ता ने डायबिटीज को जबलपुर के लिए अलार्मिंग साइन और महामारी कहा है। इससे बचने के लिए जरूरी है कि डायबिटिक पेशेंट संतुलित जीवनशैली अपनाएं और नियमित खान-पान रखें। व्यायाम को दिनचर्या में शामिल करें। विशेषज्ञों का मानना है कि मधुमेह को यदि नियंत्रित रखा जाए तो व्यक्ति को इसके कारण होने वाले किसी भी तरह के कॉम्प्लीकेशंस नहीं होंगे।
आइडीआरएस को बनाया आधार
शोधकर्ता ने आईडीआरएस (इंडियन डायबिटिक रिस्क स्कोर) को शोध का आधार बनाया है। इस प्रक्रिया में रक्त में शुगर की मात्रा, मोटापा, आनुवांशिकता, दिनचर्या और उम्र के आधार पर आकलन किया जाता है। 234 यानी 57.63 प्रतिशत लोग डायबिटीज की हाई रिस्क श्रेणी में पाए गए। रिसर्च से पता चला है कि ट्राइबल इलाकों के मेहनतकश लोग भी डायबिटीज की चपेट में आ रहे हैं। इस स्कोरिंग में 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में डायबिटीज का खतरा ज्यादा पाया गया है।
डॉक्टरों को सुझाव
डॉ. टोप्पो का कहना है कि ओपीडी में पहुंचने वाले सभी मरीजों पर आईडीआरएस का पालन करना चाहिए, ताकि उन्हें डायबिटीज के खतरे से आगाह किया जा सके। जो चपेट में आ गए हैं उन्हें समय से समुचित उपचार दिया जा सके और जिनमें बीमारी का खतरा है उन्हें आगाह किया जा सके। एेसा होने से 97 प्रतिशत तक डायबिटीज की पहचान की जा सकती है।
मुख्य बिंदु
-406 लोगों पर हुई रिसर्च
-205 पुरुष और 201 महिलाएं शामिल
-30-36 की उम्र में सामने आ रही बीमारी
-शोधकर्ता के मुताबिक डायबिटीज जबलपुर के लिए अलार्मिंग साइन
-आधी आबादी डायबिटीज की चपेट में
शहरी – 69.45%
ग्रामीण- 30.54%
सामान्य ग्लूकोज लेवल
खाली पेट -80 से 100 एमजी
खाना खाने के बाद –120 से 140 एमजी